आखिरकार लॉन्ग अनपेड और नैवर पेड जैसे मामलों की जिम्मेदार पावर कारपोरेशन ने सिखा ही दिया … निलम्बन की परिभाषा

पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष महोदय द्वारा लगातार अपने अधीनस्थ समस्त डिस्कॉम के प्रबन्ध निदेशक द्वारा लगातार बिजली विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के ऊपर एकमुश्त समाधान योजना 2024-25 (ओटीएस) के तहत पंजीकरण, राजस्व वसूली, मासिक राजस्व प्रगति, बिलिंग और लॉइन लॉस जैसे महत्वपूर्ण मानकों पर ध्यान नहीं देने का आरोप लगा रहा है…. इसके अलावा, लॉन्ग अनपेड और नैवर पेड जैसे मामलों में भी सुधार की आवश्यकता की बात कहीं जा रही है। इसी कारण प्रबन्धन की नजर में कई बार चेतावनी के बावजूद अधिकारियों ने अपनी कार्यशैली में बदलाव नहीं किया, जिसके चलते यह सख्त कार्रवाई की जा रही है।

यूपीपीसीएल मीडिया की नजर में लॉन्ग अनपेड और नैवर पेड जैसे मामलों की जिम्मेदार तो कार्यरत इंजीनियर तो है ही नहीं… इसका सीधा जिम्मेदार सरकार की तरह-तरह की कई योजनाएं रही है, जिसमें प्रमुख रूप से सौभग्या योजना रही है, जो सभी डिस्कॉम के लिए गले की हड्डी बन गई है। सौभग्या योजना के अन्तगर्त दिये गये 99 प्रतिशत जबरदस्ती संयोजन दिये गये थे… एक – एक परिवार को दो से तीन संयोजन दिये गये थे… जबकि उस परिवार में पहले से ही संयोजन था। इसके बाद भी डिस्कॉम के अधिकारीयों ने सभी योजनाओं पर गंभीरता से काम किया… फिर भी डिस्कॉम के प्रबन्ध निदेशका को गंम्भीरता से किया गया कार्य में भी लगातार लापरवाही नजर आ रहीं है… उन्हें योजनाओं के सही क्रियान्वयन और राजस्व वसूली में सुधार के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है… बार बार कार्रवाई ने नाम पर डराया धमकाया जा रहा है….वीसी के दौरान स्पष्ट संदेश दिया जा रहा है कि लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा… साथ ही विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को उनकी जिम्मेदारी याद दिलाने के प्रयास किया जा रहा है… इतना ही निलम्बन अथवा चार्जशीट देने का प्रयास किया जा रहा है।

इसी क्रम में बीते कार्य दिवस में पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड की प्रबंध निदेशक ईशा दुहन ने बिजली विभाग में लापरवाही और भ्रष्टाचार के खिलाफ निलम्बन अभियान प्रारम्भ कर दी है। हाल ही में, उन्होंने बड़ी कार्रवाई करते हुए सहारनपुर के अधीक्षण अभियंता महेश अहिरवार सहित गढ़, बबराला, शिकारपुर और नकुड़ के अधिशासी अभियंता को निलंबित किया गया है। इन पर राजस्व वसूली, ओटीएस योजना और अन्य वाणिज्यिक मानकों में लापरवाही का आरोप है। निलंबन की सूची में कुल 22 जूनियर इंजीनियर भी शामिल हैं… इसके अलावा, 11 उपखंड अधिकारियों को चार्जशीट जारी की गई है। यह सभी कार्रवाई बिजली विभाग के कर्मचारियों द्वारा राजस्व वसूली और एकमुश्त समाधान योजना (ओटीएस) में लापरवाही के चलते की गई है।

निलंबन इसलिए नहीं किया जाता कि आपने मेरी बात नहीं मानी, तो आपको निलंबित कर दिया जाएगा… अगर आपको लगता है कि इसके कारण आपकी सेवाएं समाप्त हो सकती हैं, तो निलंबित किया जाता है… यही उसका नियम है। निलम्बन का मतलब यह है कि आप को कार्यस्थल से दूर रखा जाय, जिससे कि र्निविघ्न एवं बिना किसी भेदभाव के शान्ती से जॉच सम्पन्न हो सके…इसलिए सरकार आपको निलंबित उपरान्त पैसा दे कर घर पर बैठाती है कि आप जाएगा घर पर बैठीये हैं हम इसको निपष्क्ष जॉच कर लेते हैं।

यह नहीं होता कि बात बात पर जैसे कि आपके पैसे नहीं आए… आपने कन्नेशन काटा… नहीं काटा… उपभोक्ता ने पैसे नहीं दिये….आपके पैसे नहीं आए… पैसे नहीं दियें… इत्यादि आरोप लगाते हुए निलंबन कर दिया… इससे किस प्रकार से ….कौन सी सेवा समाप्त होगी… बताईए आप …

ओटीएस और इसके नाम पर हो रही निलम्बन की कारवाई सिर्फ निजीकरण की तरफ से घ्यान भटकाने वाली सोची समझी चाल
इसको पढ़ना न भूले : ओटीएस और इसके नाम पर हो रही निलम्बन की कारवाई सिर्फ निजीकरण की तरफ से घ्यान भटकाने वाली सोची समझी चाल

“यूपीपीसीएल मीडिया” अपने बैनर के माध्यम से अध्यक्ष पावर कारपोरेशन महोदय को स्पष्ट रूप से बताना चाहता हूॅ कि आपने पावर कारपोरेशन अथवा उसके अधीनस्थ डिस्कॉम में इजीनियर काम करते है… मतलब विभाग ने इंजीनियर नियुक्ति किया है न कि धन उगाई करने की मशीन नहीं लगाई है… यदि धन उगाई करनी है, तो ठेकेदार को दे दो… वसूली एंजेट रखो…. और कुछ नहीं, तो बदमाशों को ठेका दे दो… जो धन उगाही के लिए महशूर है… धन उगाई के नाम पर ड्रामा बनाकर रख दिया है उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन ने ….

निलंबन का अर्थ धन उगाई में नाकाम रहना नहीं है… निलंबन का मतलब यही होता है कि निलंबन तभी किया जाएँ जब किसी के विरुद ऐसे आरोप हों जिनके सत्याफन के बाद उनके सेवां समाप्त होना सम्भावित हो…. यह नहीं है कि निलंबन…. कि भाई आपने मेरी बात नहीं मानी…. मैंने कल आपको कहा था यह आपने मेरा फोन नहीं उठाया तो, इसने निलंबित कर दिया जाए। वर्तमान समय में निलम्बन की कहानी सिर्फ धक्का-प्लेट बन कर रह गई…

पावर कारपोरेशन ने विभाग का जो घाटा दुनिया भर में दर्शा रहा है, उसके कारण सम्बन्धित अधिकारियों को चार्टशीट दे दिया जाता हैं… उनका एसियार खराब कर देते है… सब कुछ तो कर देते हैं… लेकिन जिस विभाग का मुखिया के शासन में लगभग 6,000 करोड प्रतिवर्ष की दर से घाटा हो रहा हैं…उस मुखिया की रिपोर्ट उत्कर्ष लिखी जाती है… किस आधार पर लिखी जाती है यह उत्कर्ष रिपोर्ट… उसने कौन सा अघ्छा काम… आप ही बताईए… जो वो नियंत्रित नहीं कर पाया… यदि उसकी एसियार खराब करने के लिए शुरू कर दी जाए तो …दो मिनट में विभाग सुधर जायेगा …

बिजली निजीकरण के बीच एक सोची समझी चाल के तहत लाया गया ओटीएस के कारण उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन और कर्मचारियों के बीच टकराव बढ़ा है। एक तरफ प्रबंधन कामकाज में लापरवाही के आधार पर अभियंताओं के निलंबन पर उतर आया है, तो दूसरी तरफ आंदोलित बिजलीकर्मियों नेतृत्व ने इसे उत्पीड़न करार देते हुए कहा है कि आंदोलन को दबाने के लिए यह सारी कार्रवाई की जा रही है। योजना में लापरवाही और राजस्व वसूली के लक्ष्य पूरे न करने पर उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रबंधन अब तेजी से हरकत में आ गया है …

एकमुश्त समाधान योजना ओटीएस में पंजीकरण, मासिक राजस्व प्रगति, रेड राजस्व निर्धारण, लाइनलॉस, लम्बे अरसे से बिजली बिलों की वसूली न किये जाने, राजस्व निर्धारण, भार बढ़ोत्तरी आदि की खराब प्रगति पर यह कार्रवाई की गयी है… पावर कारपोरेशन के निगाह में वर्तमान समय में कार्यरत मुख्य अभियंता जिसकी संख्या लगभग 90, अधीक्षण अभियंता जिसकी संख्या लगभग 300, अधिशासी अभियंता जिसकी संख्या लगभग 1200 व सहायक अभियंता जिसकी संख्या लगभग 2000 है… के कंधे पर बन्दुक रखकर निलम्बन अभियान चलाकर ओटीएस व अन्य लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बाध्य किया जा रहा है… ऐसा न कराना विभाग की नजर में अक्षम्य लापरवाही है… इस लिए निरंतर निर्देशों व समीक्षा के बाद भी कोई सुधार न दिखने पर इस प्रकार की कड़ी कार्रवाई करने का दावा किया जा रहा है। बिजली विभाग की एकमुश्त समाधान योजना की आड़ में निलंबन, चार्जशीट जैसे कार्रवाई के नाम पर आन्दोलनरत कार्मिकों को डराया, धमकाया जा रहा है।

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