
लखनऊ। इन्दिरा नगर स्थित जोन -7 के अन्तर्गत इन्द्राप्रियदर्शनी वार्ड में वाह-वाही के चक्कर में लखनऊ महापौर श्रीमति सुषमा खर्कवाल भूल गई कि बार-बार जिस जमीन को पार्क के लिए घोषित सरकारी जमीन बताते हुए बिजली विभाग की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए अवैध रूप से कनेक्शन दिए जाने पर बिजली विभाग के आला अधिकारियों की क्लास लगा रही थी…. वह वाकई काबिले तारीफ था… दरअसल वह जमीन ना तो सरकारी जमीन थी… न हीं पार्क की जमीन थी… ना ही अवैध रूप से कब्जा था… बल्कि उक्त जमीन चांदन निवासी एवं बिजली कनेक्शन धारक उपभोक्ता श्रीमती जोहरा खातून पति मोहम्मद अशफाक के नाम पर पुश्तैनी जमीन थी.. जो कि ग्राम क्रमांक : 218917, खाता संख्या 00212, खसरा नम्बर 331 चांदन नगर… सरकारी अभिलेखों में आज भी दर्ज हैं…
“यूपीपीसीएल मीडिया” रिपोर्ट के अनुसार उक्त पुश्तैनी जमीन के मालिकाना हक प्राप्त आवेदिका श्रीमती जोहरा खातून ने अपने जमीन में पैसे के अभाव के कारण बने झुग्गी के लिए खतौनी एवं आधार कार्ड आदि दस्तावेजों के साथ प्रीपेड संयोजन हेतु आवेदन किया… जिसके फलस्वरूप दिनांक 20 जून 2020 को बिजली विभाग ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा झुग्गी-झोपड़ियां हेतु प्रीपेड मीटर संबंधित आदेशों के अनुपालन में प्रीपेड संयोजन (कनेक्शन संख्याः 4759742942) निर्गत कर दिया… उसके उपरांत उपभोक्ता द्वारा लगातार उक्त मीटर को रिचार्ज कर बिजली प्राप्त कर रहा है… यहीं नहीं बल्कि संयोजन प्राप्त करने के उपरांत उपभोक्ता द्वारा आउटगोइंग मीटर से अपने ही जमीन पर बने अन्य झुग्गी-झोपड़ियां में विद्युत आपूर्ति प्रदान कर दी…

इस संपूर्ण प्रकरण में विद्युत विभाग के अधिकारियों की कार्य शैलियों पर उठे प्रश्न चिन्ह को “यूपीपीसीएल मीडिया” एक तरफ से खारिज करता है… उक्त संयोजन विभागीय नियमानुसार सही निर्गत किया गया था…
सरकारी जमीन पर बांग्लादेशियों द्वारा जबरन कब्जा किए जाने एवं अवैध तरीके से विद्युत सेवाएं उपलब्ध कराने…. जैसे अफवाहो की सूचना पाकर अधीक्षण अभियंता- गोमती नगर आशीष सिन्हा, अधीक्षण अभियंता इंदिरा नगर श्रीमती प्रेमलता सिंह, अधिशासी अभियंता- मुंशी पुलिया डिविजन अभय प्रताप सिंह, उपखंड अधिकारी सेक्टर 14 ओल्ड अजय कुमार व अवर अभियंता दिनेश सिंह के साथ-साथ संपूर्ण पावर हाउस के लगभग सभी संविदा और नियमित सहयोगी मौके पर पहुंच गए…. मौके पर पहुॅचते ही मौजूद महापौर श्रीमति सुषमा खर्कवाल उनके सहयोगी बार-बार बिजली विभाग के अधिकारियों पर गलत तरीके से संयोजन देने लगाते हुए क्लास लगाना शुरू कर दिया… वह दृश्य अपने आप में हैरानी कर देने वाला दृश्य था… सही माना जाय, तो बिना पूरी जानकारी प्राप्त किए महापौर का इस प्रकार का आचरण… उनके पद के अनुरूप सही नहीं था…
यही नहीं इस विषय में ईमानदारी पूर्वक कार्य करने वाली इंदिरा नगर थाना से संबंधित उपस्थित पुलिस अधिकारियों के ऊपर भी जबरन कब्जा करने का आरोप लगाते हुए क्लास लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी…
इस सम्पूर्ण प्रकरण में जिस प्रकार से महापौर श्रीमति सुषमा खर्कवाल सहयोगी नेताओं द्वारा एक पुश्तैनी जमीन को… जिसमें खुद उसके स्वामी द्वारा एक झुग्गी – झोपड़ी बनाकर अपने जीवन का निर्वाह कर रही थी… अब यहीं पर उनका पूरा जीवन निकल गया… यहीं से उनका वोटर कार्ड भी है… जो लगातार वोट भी दे रही थीं… इन सब बातों को दरकिनार करते हुए बिना सही जानकारी प्राप्त किए उक्त झुग्गी-झोपड़ियां को उखाड़ फेंकना… यह समझ के परे हैं… इन सब के बीच हैरानी का विषय यह है कि यहां से वोट प्राप्त करने वाले स्थानीय नेता भी इस पूरे प्रकरण में क्यों चुप रहे… यह भी समझ से परे हैं…
यहां बताना अति आवश्यक होगा कि नगर निगम कर्मचारियों के साथ बांग्लादेशियों क़ी मारपीट की घटना को लेकर उक्त जमीन में बने झुग्गी झोपड़ी को अवैध बताते हुए जिस प्रकार से तहस-नहस किया गया… उसकी सच्चाई तक पहुॅचना किसी ने ऊचित नहीं समझा… इन सब कि बीच एक सबसे बड़ी सच्चाई यह है कि वहां पर कोई बांग्लादेशी है ही नहीं… उस जमीन में पांच लोगों का परिवार है, जिसमें तीन लोग पुश्तैनी निवासी हैं जबकि दो लोग असम के रहने वाले हैं… सभी का आधार कार्ड/वोटर कार्ड भी बना हैं.. यहीं नहीं मौजूदा सभासद को वोट भी दिए हैं… इन सबके बीच हैरानी का विषय यि भी यह कि इन परिवारों में किसी के साथ भी नगर निगम कर्मचारियों की कोई मारपीट हुई ही नहीं… नगर निगम के जिन कर्मचारियों के साथ मारपीट की घटना हुई है… वह पुलिस के कब्जे में है.. और वह लोग यहां रहते भी नहीं हैं, जिसकी पुष्टि वहां के आसपास लोग और आधार कार्ड से हो सकती है…
खैर महापौर श्रीमति सुषमा खर्कवाल द्वारा आनन फानन में उठाए गए इस कदम से बिना किसी गलती के किसी गरीब का आशियाना ही तोड़ दिया गया.. यह एक अफसोस का विषय सदैव रहेगा…