
मेरठ। पावर कारपोरेशन भले ही नित्य प्रतिदिन घाटे में डूब रहे हों… परन्तु उसके अधीनस्थ अधिकारी एवं कर्मचारी अपने ही विभाग को चूना लगाने का हर सम्भव प्रयास करते है।
ताजा प्रकरण अपने आप में ही एक अजीबो गरीब प्रकरण है.. प्रकरण बिजली विभाग के ही कर्मचारी से सम्बन्धित है, जो सार्वजनिक रूप से लम्बे समय से बिजली चोरी कर रहा है… यह चोरी कहीं और नहीं पश्चिमांचल डिस्कॉम अन्तगर्त लोनी डिविजन प्रथम के अन्तर्गत आने वाले रूपनगर, डिविजन का है, जहां एक लिपिक को अपनी प्राइवेट बैटरी चलित कार को अवैध रूप से बिना किसी मीटर के सीधे प्रयोग करते हुए पाया गया… लेकिन इसकी महीनों से चल रही इस चोरी को रोकने या इसको कहने वाला कोई अधिकारी तैयार नहीं है।
बताते चले कि जनहित के लिए संधर्ष करने वाला यूपीपीसीएल मीडिया के सहयोगी पत्रकार द्वारा खुलेआम अवैध रूप से हो रही बिजली चोरी का एक विडियो बनाया गया है… इस वीडियो में सरकारी कर्मचारी लिपिक पद पर तैनात योगेश बाबू की प्राइवेट बैटरी चलित कार संख्यां यूपी 15 ईई 9054 को अवैध रूप से चार्ज किया जा रहा है। हैरानी का विषय यह है कि बिजली चोरी का खेल रूपनगर डिविजन प्रथम के अधिशासी अभियन्ता की नाक के नीचे चल रहा है… जब कार्यालय में इस प्रकार का खेल होता है, तो निश्चित ही उपरोक्त लिपिक द्वारा अपने निवास पर इस प्रकार चार्ज करने का कार्य करते होंगे।
विदित हो कि नियामक आयोग द्वारा विभागीय कर्मचारियों के लिए अनुमन्य एलएमवी 10 को समाप्त करने के बावजूद, विभाग द्वारा अपने कर्मचारियों को अपने ही स्तर पर यह सुविधा बहाल कर रखी है… जबकि पावर कारपोरेशन की स्वःभू नियमावली में बिना निर्धारित कटैगरी के बिजली का प्रयोग करने के लिए अधिकृत नहीं है। यह तमाम नियम कानून सिर्फ जनता को डराने के लिए ही बने हुए होते हैं…जबकि विभागीय कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए इसकी कोई बाध्यता नहीं होती है। इसमें यह बात कोई महत्व नहीं रखती कि यह कार उनके नाम है अथवा किसी और के नाम। बिना किसी बिजली मीटर के उपरोक्त विधुत प्रयोग पूर्णतः अवैध एवं विधुत चोरी के साथ साथ अमानत में खयानत करने के अपराध के समान है।
एक वॉट चार्जिंग पर होता है तीन सौ रुपये का खर्चा
बिजली चोरी का ये सारे खेल रूपनगर डिविजन प्रथम के अधिशासी अभियन्ता की नाक के नीचे चल रहा है। एक वाट की चार्जिंग का खर्चा तीन सौ रुपये आता है। एक साल में चार्जिंग करने पर एक लाख आठ हजार रूपये का बिल बनता है। अगर यही आम उपभोक्ता के यहां चोरी पकड़ी जाती है, तो दोगुना खर्चा दो लाख सौलह हजार रुपये बन जाते… कानूनन कोई भी व्यक्ति कानूनी रूप से बिजली घर की बिजली का व्यक्तिगत इस्तेमाल नही कर सकता।
देखना यह है कि सबूत के साथ मामला संज्ञान में आने के पश्चात विभाग विभाग के परिसर में हुई इस बिजली चोरी में पीवीवीएनएल के प्रबन्ध निदेशिका ईशा दुहन क्या कार्यवाही करती है या फिर उक्त मामला को भी ऐसे ही ठंडे बस्ते के हवाले कर दिया जाता है।