यदि ऊर्जा निगमों को बचाना है तो उसके आगमन एवं निर्गमन द्वार को करना ही होगा सुरक्षित

मित्रों नमस्कार! तत्कालीन उ0प्र0रा0वि0प0 का एक प्रतिष्ठित कार्मिक संगठन “राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन, उत्तर प्रदेश”, लखनऊ में अपना 77 वां वार्षिक सम्मेलन कर रहा है। ऊर्जा निगमों के सभी जूनियर इन्जीनियर्स को बेबाक की ओर से हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें।

जूनियर इन्जीनियर ऊर्जा निगमों की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है। ऊर्जा निगमों में यदि कोई कार्य होना प्रस्तावित है अथवा किसी भी कार्य का समापन होना है, तो उन सभी का आगमन एवं निर्गमन जूनियर इन्जीनियर के माध्यम से ही होता है। जिसका तकनीकी रुप से दक्ष होना, ऊर्जा निगमों के लिये ही नहीं, बल्कि जनहित के लिये भी बहुत ही महत्वपूर्ण है। किसी भी संस्थान में, किसी भी पद की गुणवत्ता एवं उत्पाद की गुणवत्ता को कायम रखने के लिये, उनके कार्मिक संगठन का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान होता है। पद की गुणवत्ता ही उत्पाद की गुणवत्ता सुनिश्चित करती है और उत्पाद की गुणवत्ता ही संस्थान के नाम को जनता के बीच स्थापित करती है।

राज्य सरकार में पदों के वर्गीकरण के अनुसार जूनियर इन्जीनियर ‘‘समूह-ग’’ का कर्मचारी है, जोकि पदोन्नत्ति के बाद ‘‘समूह-क’’ तक पहुंचता है। चहुं ओर लगभग 24 वर्ष पूर्व तत्कालीन उ0प्र0रा0वि0प0 के विघटन के उपरान्त बने ऊर्जा निगमों एवं अब 1.10 लाख करोड़ के घाटे के बाद प्रस्तावित निजीकरण की चर्चा है। जिसके लिये विभिन्न कार्मिक संगठन अपने-अपने बुझे हुये बल्बों को लेकर, आन्दोलनरत् हैं। यह घोर आश्चर्य ही नहीं अपितु शोध का विषय है कि जलते हुये बल्बों पर, बुझे हुये बल्बों का नेत्रत्व किस प्रकार से काबिज है। जलते हुये एवं बुझे हुये बल्बों का यह मेल, शायद ही किसी की समझ में आता हो। परन्तु ये सभी जानते हैं कि बल्बों की कड़ी में यदि एक भी बल्ब खराब हो जाता है, अर्थात बुझ जाता है, तो वह पूरी की पूरी कड़ी को ही बन्द/खराब कर देता है तथा खराब बल्ब को जब तक की उक्त कड़ी से बाहर नहीं निकाला जाता वह कड़ी निष्क्रिय रहती है। इसी प्रकार से एक कड़ी में दूसरी क्षमता का बल्ब लगाया जाता है तो वह या तो जलता ही नहीं अथवा बहुत तेज जलकर तुरन्त फ्यूज हो जाता है। ऊर्जा निगमों में मूल कार्य इलेक्ट्रिकल इन्जीनियरिंग का है, जिसके लिये इलेक्ट्रिकल इन्जीनियरिंग बहुत ही महत्वपूर्ण है। परन्तु जब कार्मिक संगठन, अपनी ही कड़ी में बुझे हुये अथवा दूसरी क्षमता के बल्बों का प्रयोग कर रहे है, तो प्रबन्धन के द्वारा भी इलेक्ट्रिकल इन्जीनियरिंग के कार्य, सिविल, मेकेनिकल एवं आई0टी0 इन्जीनियरों के माध्यम से कराये जा रहे है। कड़ी में जो बल्ब जलते नहीं, परन्तु पूरी की पूरी कड़ी को रोशन कर देते हैं, वे सभी बल्ब उच्च क्षमता के बल्ब होते हैं, जोकि उच्च धारा पर कार्य करते हैं अर्थात दूसरे वर्ग के बल्ब हैं। कुछ यही हाल तत्कालीन उ0प्र0रा0वि0प0 के विघटन के बाद बने उ0प्र0पा0का0लि0 का है जहां पर कड़ियों में, दूसरे वर्ग के बल्ब प्रयोग कर कड़ियों को रोशन किया जा रहा है, तो वहीं कार्मिक संगठनों में एक कदम आगे बढ़ते हुये फ्यूज बल्ब एवं दूसरे वर्गों के बल्बों का प्रयोग करते हुये रोशनी उत्पन्न करने का प्रयास किया जा रहा है।

स्पष्ट है कि हम चाहे प्रकृति बात करें या विज्ञान की, जब मूल सिद्धान्तों को नजरंदाज किया जाता है तो परिणाम कभी भी अच्छे नहीं आते। जिसका परिणाम है आज वितरण कम्पनियां 1.10 लाख करोड़ के घाटे में डूब चुकी हैं। अपने गिरेहबान में कोई झांकना नहीं चाहता, परन्तु दूसरों पर ऊंगली उठाकर उसको उत्तरदायी घोषित करने में सभी लगे रहते हैं। स्पष्ट है कि जिस संस्थान के आगमन एवं निर्गमन बिन्दु ही गुणवत्ताहीन हों, तो उस संस्थान को, स्वयं ब्रह्मा जी भी नहीं बचा सकते। निहित स्वार्थ में ‘‘समूह-ग’’ की कड़ी में जब ‘‘समूह-ख एवं ‘‘समूह-क’’ के साथ-साथ फ्यूज बल्ब लगाकर कड़ी को पूर्ण करने का प्रयास किया जायेगा, तो रोशनी कहां से प्राप्त होगी।

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज के युवा, जिनमें योग्यता एवं ऊर्जा की कोई कमी नहीं है। उन्हें दूसरे वर्ग के अथवा फ्यूज बल्बों के साथ प्रयोग करके, उनकी योग्यता एवं ऊर्जा को लगातार व्यर्थ किया जा रहा है। जिस वर्ग की संस्थान के आगमन एवं निर्गमन बिन्दु पर गुणवत्ता की जांच करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी थी, आज उसमें इस कदर मिलावट हो चुकी है कि वहां रोशनी दिखलाई देनी ही बन्द हो गई है। जिसका भरपूर प्रयोग निहित स्वार्थ में कार्य करने वाले वर्गों के द्वारा करते हुये, दोनों ही हाथों से संस्थान को लूटा जा रहा है। जिसके लिये संवर्गीय कार्मिक से भी ज्यादा वे सभी कार्मिक संगठन उत्तरदायी हैं, जोकि अपने निहित स्वार्थ में अपने वर्ग को छोड़कर दूसरे वर्गों में अनैतिक रुप से घुसे हुये हैं। जिसके कारण वे अपनी प्रतिष्ठा ही नहीं, बल्कि अपने साथ-साथ संगठन की भी गौरवमयी प्रतिष्ठा को लगातार धूमिल कर रहे हैं। ऐसे गैर संवर्गीय साथियों से बेबाक का अनुरोध है कि कृपया अपने कनिष्ठों को आशीर्वाद देते हुए अब तो उन्हें उनके हाल पर छोड़ दो, वे सभी युवा योग्यता एवं ऊर्जा से भरपूर हैं। वे ऊर्जा निगमों में अपने पदों के साथ साथ, संगठन के पदों के उत्तरदायित्वों को वहन करने हेतु सक्षम हैं। राष्ट्रहित में समर्पित! जय हिन्द!

  • बी0के0 शर्मा महासचिव PPEWA.
  • UPPCL MEDIA

    "यूपीपीसीएल मीडिया" ऊर्जा से संबंधित एक समाचार मंच है, जो विद्युत तंत्र और बिजली आपूर्ति से जुड़ी खबरों, शिकायतों और मुद्दों को खबरों का रूप देकर बिजली अधिकारीयों तक तक पहुंचाने का काम करता है। यह मंच मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश में बिजली निगमों की गतिविधियों, नीतियों, और उपभोक्ताओं की समस्याओं पर केंद्रित है।यह आवाज प्लस द्वारा संचालित एक स्वतंत्र मंच है और यूपीपीसीएल का आधिकारिक हिस्सा नहीं है।

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