SDO–JE–रीडर पर ₹20,000 की रिश्वत मांगने का आरोप, महीनों से महिला उपभोक्ता को धमकियाँ
झांसी/सिजवाहा। दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (DVVNL) के झांसी क्षेत्र में भ्रष्टाचार का हैरान करने वाला मामला सामने आया है। एक उपभोक्ता का मीटर सरकारी लैब द्वारा “No Display / मीटर खराब” प्रमाणित होने के बावजूद विभाग ने उपभोक्ता पर एक महीने का 73,968 रुपये का फर्जी बिल थोप दिया। फिर बिल सही करने के लिए SDO–JE–रीडर ने मिलकर ₹20,000 की रिश्वत माँगी, ऐसा आरोप पीड़ित ने अपनी लिखित शिकायतों में लगाया है।

📌 शुरुआत कहाँ हुई? — अप्रैल 2025 में मीटर पढ़ने नहीं आया रीडर
उपभोक्ता शिल्पी सिंह (पत्नी – जीतन सिंह), निवासी – ग्राम सिजवाहा, झांसी का मार्च 2025 तक का पूरा बिजली बिल जमा था। अप्रैल में रीडर नहीं आया।
18 मई 2025 को रीडर धर्मेश राजपूत आया और बोला:
“आपका मीटर खराब है, 1912 पर शिकायत कर दो। बिल नहीं बनेगा।”
शिकायत उसी दिन की गई।
📌 26 मई 2025 को मीटर बदला — लेकिन अगले ही दिन फर्जी बिल बना!
मीटर बदलने का आधिकारिक प्रपत्र (फोटो उपलब्ध) यह बताता है:
- मीटर No Display / खराब पाया गया
- मीटर 26/05/2025 को बदला गया
- साइट पर अधिकारियों की उपस्थिति दर्ज है
लेकिन 27 मई 2025 को, यानी बदलने के ठीक अगले दिन ही, अचानक उपभोक्ता को ₹73,968 का बिल थोप दिया गया, जिसमें 13,500 यूनिट मनमाने तरीके से जोड़ दी गईं।

📌 फर्जी बिल के सबूत — विभाग ने गलत आधार पर तय किया बिल
फर्जी बिल में हाइलाइटेड एंट्री:
- Net Billed Unit: 13500
- Payable Amount: ₹73968
- मीटर खराब होने के बावजूद औसत बिल की जगह भारी यूनिट जोड़ दी गईं
- उपभोक्ता की शिकायत के बाद भी बिल निरस्त नहीं किया गया
📌 सरकारी लैब रिपोर्ट ने साफ लिखा — “NO DISPLAY”, यानी मीटर DEAD
03/06/2025 की प्रयोगशाला जांच रिपोर्ट में उल्लेख:
- मीटर नंबर: 72514381
- स्थिति: NO DISPLAY (रीडिंग नहीं ली जा सकती)
- मीटर उपभोक्ता की उपस्थिति में खोला गया
- प्लास्टिक सील सही पाई गईं
👉 मतलब, विभाग मीटर खराब होने का प्रूफ होने के बावजूद लाखों यूनिट की बिलिंग करने का कोई कानूनी आधार नहीं था।
📌 पावर हाउस पर अफसरों ने मांगे ₹20,000 — तभी बिल ठीक होगा!
उपभोक्ता के अनुसार पावर हाउस में मौजूद:
- JE अजीत दीक्षित
- JE रामकुमार वर्मा
- रीडर धर्मेश राजपूत
- SDO अक्षय कुमार
ने कहा “बिल गलत बना है… पर ₹20,000 दो, तभी सुधारेंगे। वरना कहीं भी चले जाओ, बिल ठीक नहीं होगा।” यह उपभोक्ता ने अपनी ईमेल शिकायत, लिखित आवेदन, और 1912 शिकायत में दर्ज कराया है।
📌 उपभोक्ता ने 1912, AE, EE, SE, CE, IGRS, Facebook, Twitter — हर जगह शिकायत की, पर सभी आरोपियों ने फर्जी रिपोर्ट लगाकर मामला दबाया
- 1912 पर कई शिकायतें
- ईमेल से MD DVVNL को शिकायत
- अधिशासी अभियंता – कोई सुनवाई नहीं
- मुख्य अभियंता – कोई कार्रवाई नहीं
- IGRS – जवाब में गलत रिपोर्ट चिपका दी
👉 विभागीय कर्मचारी लगातार “सही बिल” का फर्जी बचाव कर रहे हैं।
📌 अब धमकियाँ — “पैसे दो नहीं तो कनेक्शन काट देंगे”
उपभोक्ता का आरोप है कि JE और रीडर बार-बार घर जाकर बोल रहे:
“बिल भरो नहीं तो कनेक्शन काट देंगे।”
घर पर महिला और बच्चे अकेले रहते हैं— बार-बार धमकियों से परिवार दहशत में है।
🔴 UPPCL MEDIA का बड़ा सवाल
जब—
- मीटर खराब होने की सरकारी लैब रिपोर्ट मौजूद है
- मीटर उपभोक्ता की शिकायत पर बदला गया
- रीडर ने खुद कहा मीटर खराब है
तो फिर 13,500 यूनिट का फर्जी बिल क्यों बनाया गया?
👉 क्या यह SDO–JE–रीडर का सिंडिकेट है?
👉 क्या यह खुला उपभोक्ता शोषण नहीं?
⚡ UPPCL MEDIA की स्पष्ट मांग
- 👉 आरोपी SDO, JE, रीडर पर तत्काल निलंबन + FIR
- 👉 ₹73,968 का फर्जी बिल तत्काल रद्द
- 👉 उपभोक्ता को औसत बिल जारी किया जाए
- 👉 बार-बार धमकी देने वालों पर शिकायत दर्ज
- 👉 IGRS और 1912 में फर्जी रिपोर्ट लगानेवालों की जांच
- 👉 इस पूरे घोटाले की MD DVVNL स्तर पर उच्चस्तरीय जांच
🔥 यह सिर्फ एक केस नहीं, सिस्टम के अंदर छिपे भ्रष्टाचार की पूरी तस्वीर है
रीडर → JE → SDO
पूरा चेन उपभोक्ता से पैसे वसूलने में लगा है।
मीटर खराब होने की सरकारी रिपोर्ट = बिल ZERO
लेकिन बनाया गया = ₹73,968
रिश्वत मांगी = ₹20,000








