
लखनऊ में बिजली विभाग का बड़ा कारनामा, उपभोक्ता का सवाल – “जब मीटर ही नहीं, तो बकाया कहां से?”
लखनऊ | यूपीपीसीएल मीडिया न्यूज ब्यूरो
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बिजली विभाग की लापरवाही एक बार फिर सुर्खियों में है। चिनहट के कमता क्षेत्र स्थित नेहरू नगर निवासी अंजनी कुमार राय को उस समय गहरा झटका लगा, जब उनका बिजली कनेक्शन यह कहते हुए काट दिया गया कि उनके ऊपर ₹1,00,000 का बकाया है — जबकि वे नियमित बिल भुगतान करते रहे हैं और जिस मीटर से यह बकाया जोड़ा गया, वह उनके घर पर कभी लगा ही नहीं।
🔎 क्या है मामला?
अंजनी कुमार राय का कहना है कि—
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जब उन्होंने कनेक्शन लिया, तो मीटर संख्या C1950311391102 उनके घर पर लगाया गया था।
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कुछ समय बाद बिना सूचना के मीटर बदलकर A15355 नंबर का मीटर लगा दिया गया, लेकिन विभागीय रिकार्ड में अब तक इसे फीड नहीं किया गया।
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इसके बाद विभाग ने कागजों में “स्मार्ट मीटर” फीड कर दिया, जिसका नंबर GP677442 है – लेकिन यह मीटर उनके घर पर कभी लगाया ही नहीं गया।
⚡ कनेक्शन काटा, न जांच, न दस्तावेज!
उपभोक्ता के अनुसार:
“मैं लगातार कमता उपकेंद्र के चक्कर काट रहा हूं, कह रहा हूं कि जिस मीटर से बकाया दिखा रहे हैं वो मेरे घर पर कभी नहीं लगा… फिर भी किसी अधिकारी के पास कोई जवाब नहीं है। सीलिंग सर्टिफिकेट तक नहीं दिखा पा रहे।”
📉 नियमतः भारी खामी:
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न तो मीटर बदले जाने की कोई रसीद दी गई
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न सीलिंग सर्टिफिकेट उपलब्ध कराया गया
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न नया मीटर ऑन-साइट लगाया गया
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और न बकाया से पहले कोई कारण बताओ नोटिस जारी हुआ
📢 उपभोक्ता की मांग:
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मौके की निष्पक्ष तकनीकी जांच कराई जाए
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विभागीय दस्तावेजों और सीलिंग रजिस्टर की प्रति उपभोक्ता को दी जाए
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बिना खपत और बिना लगे मीटर पर भेजा गया बकाया तुरंत निरस्त हो
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गलत बिलिंग और लापरवाही के लिए जिम्मेदार अभियंताओं पर कार्रवाई हो
⚠️ बड़े सवाल जो बिजली विभाग को घेरे में खड़ा करते हैं:
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जब मीटर ऑन-साइट नहीं है, तो स्मार्ट मीटर फीड कैसे हुआ?
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बिना उपस्थिति के मीटर कैसे बदला गया?
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उपभोक्ता से संवाद किए बिना कनेक्शन क्यों काटा गया?
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विभाग के पास उपयुक्त प्रमाण और दस्तावेज क्यों नहीं?
🧾 क्या कहते हैं बिजली उपभोक्ता अधिकार?
बिजली अधिनियम 2003 के अनुसार –
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बिना नोटिस के बिजली कनेक्शन काटा जाना अवैध है
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बिल की सत्यता को चुनौती देने का अधिकार उपभोक्ता को प्राप्त है
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मीटर बदले जाने पर सीलिंग सर्टिफिकेट और रसीद देना अनिवार्य है
📣 यह मामला सिर्फ एक उपभोक्ता का नहीं, बल्कि उस तंत्र की पोल खोलता है जहां फर्जी स्मार्ट मीटरिंग और विभागीय लापरवाही आम बात हो गई है। सवाल यह है कि क्या अब कोई जवाबदेही तय होगी या फिर उपभोक्ता इसी तरह भटकता रहेगा?
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✍️ रिपोर्ट: UPPCL Media
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