
उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में उपभोक्ताओं के घरों पर लगे पुराने इलेक्ट्रॉनिक मीटरों को हटाकर स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं… लेकिन इन सब के बीच आठ हजार ऐसे उपभोक्ता हैं, जिनके घरों पर स्मार्ट मीटर तो लगा दिए गए लेकिन पुराने इलेक्ट्रॉनिक मीटरों को विभाग में जमा नहीं किया गया, जिसके कारण यह उपभोक्ता बीते दिसंबर से बिल नहीं जमा कर पा रहे हैं। इन्हें डर है कि एकदम से बिल आने पर वह इसे कैसे जमा करेंगे। विभाग में इतनी बड़ी चूक कैसे हुई और इसके लिए कौन जिम्मेदार है, इसकी जांच शुरू हो गई है।
बताते चले कि जिले में करीब पांच लाख बिजली उपभोक्ता हैं, जिनके यहां इलेक्ट्रॉनिक मीटर लगे हैं। हर महीने रीडिंग लेकर बिल निकालना पड़ रहा है। इसके लिए मीटर रीडर रखे गए हैं। रीडरों की मनमानी से उपभोक्ताओं को त्रुटिपूर्ण बिल मिल रहे हैं। इस समस्या से राहत दिलाने के लिए स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं।
अब तक करीब 40 हजार स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं। इसमें करीब 32 हजार मीटर टेस्ट डिवीजन में जमा कर दिए गए हैं। इन उपभोक्ताओं के बिल स्मार्ट मीटर से बनने लगे हैं। लेकिन आठ हजार उपभोक्ता ऐसे हैं, जिनके यहां से पुराने मीटर हटाकर स्मार्ट मीटर लगाए गए पर पुराने मीटरों को टेस्ट डिवीजन में जमा नहीं किया गया, जिसके कारण बिल नहीं बन पा रहे है।
सलोन में हुई थी अभियोग पंजीकृत, गैंग सक्रिय
जिले में कई बार मीटर की मशीन बदलने व रीडिंग में हेरफेर करने के कई मामले सामने आए। सलोन क्षेत्र में एक मीटर रीडर के यहां बड़ी मात्रा में मीटर बरामद किए गए थे। इस मामले में एफआईआर भी दर्ज कराई थी। आठ हजार मीटर गायब होने के पीछे कौन सा गैंग सक्रिय है, अभियंता इसका पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि इस खेल में कई विभागीय कर्मचारी शामिल हैं, जिसकी वजह से यह खेल काफी समय से चल रहा है।
काम के प्रति ढिलाई
जिले में स्मार्ट मीटर लगाने का काम मध्यांचल विद्युत वितरण निगम से जयपुर की एक एजेंसी को दिया गया है। एजेंसी ने जिले स्तर के कई ठेकेदारों को काम देकर औपचारिकता कर रही है। स्थानीय ठेकेदार दागी मीटर रीडरों से स्मार्ट मीटर लगवाने का काम करा रहे हैं। यही वजह है कि मीटरों में हेरफेर किया जा रहा है।
इस सन्दर्भ में अधीक्षण अभियंता, पावर कॉर्पोरेशन नेकी राम का कहना है कि इलेक्ट्रॉनिक मीटर की जगह स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं। पुराने मीटरों को टेस्ट डिवीजन में जमा करना है। अब तक मीटर क्यों नहीं जमा किए गए हैं। किस स्तर पर लापरवाही बरती गई है, इसकी जांच कराई जाएगी। लापरवाहों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।