
# महत्वपूर्व विषय यह है कि चार्ज लेने वाला इंजीनियर राजीव रंजय राय प्रतिदिन कर रहा है मूल तैनाती स्थल पर कार्य
# सूत्र की माने, तो स्थान्तरण उपरान्त अपने कुर्सी पर जमे रहने का असली वजह – कहीं प्रबन्ध निदेशक एवं सीधे उपखण्ड अधिकारी की मिली भगत से एक बकाया पर संयोजन देने का मामला तो नहीं
# स्थान्तरण सिर्फ दिखावा मात्र अपनी कुर्सी का मोहभंग नहीं कर पा रहे है भ्रष्ट अधिकारी, इस प्रकरण में उच्च अधिकारी भी खामोश
लगभग 13 दिन पूर्व हुए स्थान्तरण आदेश में बदलाव करते हुए 4 दिन पूर्व एक बार फिर इंजीनियर सौरभ कुशवाहा स्थान्तरण आदेशः पत्रांक संख्या 3213 दिनांक 6/11/2024, जिसके अनुसार 33/11 केवी उपकेन्द्र- सुगागऊ, अन्तर्गत विद्युत नगरीय वितरण खण्ड मुंशीपुलिया कार्यालय से हटाकर विद्युत नगरीय वितरण मण्डल, कार्यालय- गोमतीनगर में सम्बद्ध करने का आदेश जारी किया गया है.
उक्त स्थान्तरण पत्र में साफ निर्देशित किया गया था कि इकाई प्रमुख / नियंत्रक अधिकारी का दायित्व होगा कि उपरोक्त कार्मिक को बिना प्रतिस्थानी की प्रतीक्षा किये स्थानीय व्यवस्था से तत्काल कार्यमुक्त कर दिया जाये.. लेकिन हम तो पढ़े लिखे है नहीं , इसलिए शायद उच्च अधिकारीयों की नजर में तत्काल का मतलब कुछ और होता होगा, इसलिए अभी तक 33/11 केवी उपकेन्द्र- सुगागऊ वैठ कर किये गये गलती का सबूत मिटा रहे है, जिसका खुलासा हम दूसरे रिपोर्ट में करेंगे।
यहीं नहीं यदि हम इंजीनियर सौरभ कुशवाहा के रिपोटिंग अधिकारी इंजीनियर अरविन्द कुर सिंह की बात करे, तो यह भी लगभग चार उपभोक्ताओं का खून चूसने के बाद भी यहां के उपभोक्ताओं के खून का स्वाद नहीं भूल पा रहे है, यह भी अपनी कुर्सी से फेविकोल की तरह चिपक गये है
रही बात इंजीनियर अरविन्द कुमार सिंह स्थान्तरण आदेशः पत्रांक संख्या 3102 दिनांक 29/10/2024, जिसके अनुसार 33/11 केवी विद्युत उपकेन्द्र- सेक्टर 14 (ओल्ड) मुंशीपुलिया, लखनऊ से हटाकर विद्युत नगरीय वितरण खण्ड, गोमतीनगर लखनऊ में कर किया गया है। उक्त आदेश के लगभग 12 दिन बाद भी उपभोक्ताओं का खून चूस रहे है, यहीं नहीं यह तो एक कदम आगे बढ़ते हुए अपने स्थान पर तैनाती होने वाले इंजीनियर को ही सेट कर लिया, जिनके कारण आज भी कुर्सी से चिपके हुए है। इस सन्दर्भ में जब नये उपखण्ड अधिकारी इंजीनियर राजीव रंजय राय से इस विषय पर जानकारी ली, तो बताया कि ऐसा कोई पत्र मिला ही नहीं, जिसके उपरान्त हमारे द्वारा उनको स्थान्तरण पत्र आदेश संख्याः : पत्रांक संख्या 2333 दिनांक 06/11/2024 को व्हाट्सप्प के माध्यम से उपलब्ध कराया गया। महत्वपूर्व विषय यह है कि चार्ज लेने वाला इंजीनियर राजीव रंजय राय मूल तैनाती स्थल पर कार्य प्रतिदिन कर रहा है।
उक्त सभी प्रकरण में यह साफ है कि एक सुनियोजित तरीके किये गये अपराध का सजा न देते हुए दिखावा मात्र स्थान्तरण कर दिया जाता है…स्थान्तरण होने के बाद भी इतना समय दिया जाता है कि स्थान्तरित अधिकारी अपने कुर्सी पर बैठ कर आरोपित प्रकरण में सभी सबूत को खत्म कर दे, ताकि यदि कोई जॉच होती भी है, तो कोई सबूत न मिले।
इस सन्दर्भ में “यूपीपीसीएल मीडिया” का कहना है कि पावर कारपोरेशन अथवा उनके सहयोगी कंपनियां द्वारा किसी भी प्रकरण में निलम्बन जैसी कारवाई सिर्फ और सिर्फ पिकनिक मनाने की छुट्टी जैसी होती है…. यदि उदाहरण माने तो किसी आरोपी अफसर के ऊपर पचास लाख का राजस्व नुकसान का दोषी मानते हुए उसका निलम्बन कर दे… निलम्बन अवधि के दौरान आधा वेतन तो मिल रहा ही है… साथ ही राजस्व नुकसान का लाखों रूपया भी पास में है, उसी रूपया में से कुछ रूपया जॉच कमेटी पर खर्च कर देता है, कुछ समय बाद बहाल हो जाता है… निलम्बन अवधि के दौरान का आधा वेतन भी बहाल होने के उपरान्त मिल जाता है। कुछ समय उपरान्त नव तैनाती स्थल पर विभाग को फिर से राजस्व नुकसान लगाने का प्रयास कर अपनी जेब गर्म करता है….. यदि विभाग वास्तव में कारवाई करना चाहता है तो उक्त राजस्व नुकसान की भरपाई उसके वेतन से कटौती करके करना चाहिए।