गोंदिया। जिले में एक अनोखा मामला सामने आया है। बिजली विभाग ने एक किसान को 16 हजार से अधिक का बिल थमा दिया, जबकि उसके खेत में तो बिजली खंभा लगा है न ही मीटर। बिजली बिल देखकर किसान भी परेशान हो गया। किसान इसे धोखाधड़ी बताते हुए कार्यालय पहुंच गए।
गाेंदिया जिले में जीरो पोल योजना के तहत कनेक्शन देने के लिए महावितरण के कालीमाटी के सहायक अभियंता द्वारा जनवरी 2023 में 15,000 रु. लिए गए। फिर शपथ पत्र ऑनलाइन करने को कहा। इसके बाद किसान को 16 हजार 390 रुपए का बिल दे दिया गया, जबकि न तो खंभे लगे और न ही मीटर लगा है। अब वह सहायक अभियंता यह कहकर हाथ खड़े कर रहा है कि योजना बंद है। इससे किसान संकट में आ गया है।
जानकारी के अनुसार आमगांव तहसील के कातुर्ली निवासी प्रेमलाल अनंतराम बिसेन का खेत कातुर्ली गांव में है। उन्हें महावितरण के एक कर्मचारी ने बताया कि 2023 में महाराष्ट्र कृषि नीति के अंतर्गत जीरो पोल योजना के तहत खेत में ट्रांसफार्मर स्थापित कर सकते हैं। उसके लिए महावितरण के कार्यालय से संपर्क करने की सलाह दी गई। जिसके अनुसार, प्रेमलाल बिसेन कालीमाटी स्थित महावितरण के उपकेंद्र गए और सहायक अभियंता अनंत प्रसाद कर से मिले। अनंत कर ने उससे कहा कि इसके लिए उसे 15 हजार रुपए की जरूरत होगी।
किसान बिसेन ने जनवरी 2023 में सहायक अभियंता को 15 हजार रुपए का भुगतान किया। इसके बाद जीरो डीपी के तहत कनेक्शन मिलने की गारंटी दी गई। इसके लिए उन्होंने शपथ पत्र जमा करने और सामान्य वितरण व राजस्व विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र जमा करने को कहा। किसान ने वैसा ही किया। पूरी प्रक्रिया महावितरण के पोर्टल पर ऑनलाइन की गई। लेकिन ट्रांसफार्मर, पोल और मीटर नहीं लगे।
सहायक अभियंता को 15,000 रुपए भी दिए
इसके बाद प्रेमलाल बिसेन की कालीमाटी कार्यालय में पुनः अनंत प्रसाद कर से मुलाकात हुई। लेकिन अब सहायक अभियंता ने कहा कि योजना बंद हो गई है। ऐसे होने बाद भी किसान को 16 हजार 390 रुपए का बिल दिया गया। बिना बिजली खर्च किए, बिना खंभे और मीटर लगाए बिजली का बिल हाथ में देखकर किसान के पैरों तले जमीन खिसक गई। सहायक अभियंता को दिया गया 15,000 रुपए का भुगतान भी चला गया, वर्ष भर की गई मेहनत भी बर्बाद हो गई।
धोखाधड़ी की गई
यदि किसी खेत या घर में बिजली मीटर लगाना है तो डिमांड भुगतान से पहले और बाद में स्थानीय लाइनमैन से सर्वे कराना जरूरी है। उसके बाद ही सारी प्रक्रिया पूरी की जाती है। लेकिन इस मामले में लाइनमैन और सहायक अभियंता ने बिना कोई सर्वे किए डिमांड दे दिया। अब मीटर कार्यालय में पड़ा होने पर भी किसान को 16 हजार रुपए का बिल दे दिया गया। यह शुद्ध धोखाधड़ी है।
आत्महत्या ही एकमात्र विकल्प
प्रेमलाल बिसेन ने कहा कि किसान कातुर्ली सरकार की खेत में सिंचाई करने की योजना थी, इसलिए महावितरण कार्यालय द्वारा जो कहां गया वही किया। उन्हें भुगतान किया। सारे दस्तावेज एकत्रित कर लिए, लेकिन एक साल बाद भी मीटर नहीं लगाया गया। खंभे नहीं लगने पर दोबारा 16 हजार का बिल दिया गया। कार्यालय के चक्कर लगाए अब आत्महत्या के अलावा कोई चारा नहीं है। इसकी जिम्मेदारी महावितरण की होगी।
बिल माफ करके देंगे
अनंत प्रसाद कर सहायक अभियंता कालीमाटी ने कहा कि पहले तो हमने उनसे डिमांड लेकर गलती की। कर्मचारियों द्वारा सही जानकारी नहीं देने पर मीटर दे दिया गया। यह हमारे कार्यालय की गलती है। अब नई नीति के तहत उन्हें कनेक्शन दिया जाएगा। लेकिन, डिमांड निकालना बंद है। डिमांड शुरू होने पर दूसरा कनेक्शन दिया जाएगा। उन्हें प्राप्त बिल माफ कर दिए जाएंगे।