
लखनऊ। सहायक अभियंता पवन मिश्र मदरसा बिल घोटाले में दोषी सिद्व होने के उपरान्त मुख्य अभियंता लेसा ट्रांस गोमती आशीष अस्थाना के ऊपर एक नामी पत्रकार इतना दबाव कि कार्यवाही के नाम पर हो रही है सिर्फ महज खानापूर्ति… ताकि नाम मात्र होने वाली कार्यवाही कागजों में…. भ्रष्टाचारियों का हो सके बचाव, जीवन दान मिल सके।
बताते चले कि चिनहट डिविजन में सालों से चल रहे बिलों में हेराफेरी कर करोड़ो की राजस्व की चपत लगाने वाले मास्टरमाइंड पवन मिश्रा और बरकत अली के खिलाफ हाल में ही आवाज प्लस बैनर द्वारा ऊजागर किये गये निजामपुर मल्हौर स्थित मदरसे में हुए बिल घोटाला के विभागीय जांच दो सदस्यीय जांच समिति के सदस्य अधिशासी अभियंता पवन वर्मा एवं अंकिता शुक्ला द्वारा जांच पूरी कर जांच आख्या मुख्य अभियंता लेसा ट्रांस गोमती आशीष अस्थाना के पास भेज दी गई, लेकिन विश्वसूत्रों की माने, तो मुख्य अभियंता लेसा ट्रांस गोमती आशीष अस्थाना के ऊपर एक नामी दैनिक समाचार पत्र के नामी पत्रकार इतना दबाव है कि कार्यवाही के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है, ताकि होने वाली कार्यवाही कागजों में ही सिमट कर रह गया, जिससे उपरोक्त भ्रष्टाचारियों का बचाव हो सके।
सहायक अभियंता पवन मिश्र मदरसा बिल घोटाले में पाये गये दोषी ….
जांच अधिकारी अधिशासी अभियंता पवन वर्मा एवं अंकिता शुक्ला द्वारा जांच द्वारा मुख्य अभियंता लेसा ट्रांस गोमती आशीष अस्थाना को अपनी जांच रिपोर्ट सौंपी दी है, इस बारे में मुख्य अभियंता लेसा ट्रांस गोमती आशीष अस्थाना से जब जानकारी प्राप्त करना चाहा, तो बुझे मन से एक ही जबाब मिला कि जॉच रिपोर्ट गोपनीय होता है, कारवाई होगी, तो आप को पता चल जायेगा… यह जान लेने पर कि कारवाई कब होगी, जो जबाब मिलता है कि हमने जॉच रिपोर्ट मध्यांचल में भेज दी है, आगे की जानकारी वहीं से मिल सकता है…… इस पूरी बातचीत से अंदाजा लगाया जा सकता था कि उपरोक्त जॉच को लेकर कितना दवाब में है, जबकि आवाज प्लस में प्रकाशित समाचार को संज्ञान में लेकर जॉच के आदेश उपरोक्त मुख्य अभियंता लेसा ट्रांस गोमती आशीष अस्थाना ने ही दी थी, लेकिन जॉच रिर्पोट आने के उपरान्त क्या रिजल्ट है… क्या कारवाई है यह सब मध्यांचल देखेगा, क्योकि जॉच रिपोर्ट गोपनीय है।
खैर यहां पर अपने पाठको को जानकारी देना उचित समझाता हूं कि मुख्य अभियंता लेसा ट्रांस गोमती के कार्यरत विभीषण द्वारा उपलब्ध कराये गये जानकारी के अनुसार जांच अधिकारी अधिशासी अभियंता पवन वर्मा एवं अंकिता शुक्ला द्वारा मुख्य अभियंता लेसा ट्रांस गोमती आशीष अस्थाना को सौपी गई जांच रिपोर्ट में निजामपुर मल्हौर स्थित मदरसा बिल घोटाले में शामिल चिनहट डिवीजन में तैनात सहायक अभियंता पवन मिश्र मदरसा बिल घोटाले में दोषी पाये गये है, लेकिन एक नामी पत्रकार के दवाब के कारण लेसा अथवा मध्यांचल कारवाई करने में असमर्थता दिखा रहा है, जबकि जांच आख्या से पवन मिश्रा का निलंबन लगभग तय है।
आखिर ऊर्जा विभाग भी नहीं चाहता कि कोई कारवाई हो…
इन सब के बीच यह अवगत कराना भी जरूरी है कि ऊर्जा विभाग भी नहीं चाहता कि कोई कारवाई हो…क्योकि अधिकारी भी जानते है कि जो भी विभाग में इस प्रकार के मामले संज्ञान में आने है, उससे कहीं न कहीं … कुछ न कुछ … वह भी किसी न किसी रूप में वह भी हिस्सेदार है, इसलिए सही रिपोर्ट अपने उच्च अधिकारीयों को नहीं देते है। मोटी मोटी तनख्वाह लेने वाले अधिकारीगण अथवा नियमित बाबू सिर्फ हस्ताक्षर करने के लिए होते, जबकि वास्तव में कार्य करने वाले दस हजरिया संविदा कर्मी होते है…. यदि संविदा कर्मी नहीं होते तो यह पावर कारपोरेशन न होता…. कब के राज्य विघुत परिषद बन गया होता….. क्योकि हमेशा घाटे का रोना रोने वाले पावर कारपोरेशन के पास जितनी संख्या में संविदा कर्मी कार्यरत है, उतनी संख्या में नियमित कर्मचारी का मानक के अनुसार वेतन कभी न दे पाती… यदि संबिदा काम करना बन्द कर दे, तो कई डिविजन बन्द हो जायेगा… इसका ताजा उदाहरण चिनहट डिबिजन है, जहां एक साथ तीन संविदाकर्मी के हटने से कार्य ठप्प पड़ गया है… फाइलो की ढ़ेर लग गई है, जबकि बाबूओं की संख्या में कोई कमी नहीं आई है।
खैर चिनहट डिविजन में सालों से चल रहे बिलों में हेराफेरी कर करोड़ो की राजस्व की चपत लगाने वाले मास्टरमाइंड पवन मिश्रा और बरकत अली के खिलाफ एक समय उपरान्त कोई कारवाई न होता देख आवाज प्लस द्वारा प्रकाशित विशेष संस्करण यूपीपीसीएल मीडिया में उपरोक्त गोनपीय जॉच रिपोर्ट को प्रकाशित भी करेगा, जिसको ऊर्जा अधिकारीयों द्वारा रद्दी टोकरी में फेक दिया है।