अयोध्या पर फैसले के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बंद किए काशी-मथुरा विवाद में कोर्ट के दरवाजे

अयोध्या की तरह काशी के विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद (Vishwanath Mandir-Gyanvapi Masjid Dispute) विवाद और मथुरा में भी मस्जिद विवाद सालों से चल रहा है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले से इन विवादों को विराम दे दिया.

नई दिल्ली. अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद (Ram Janmbhoomi-Babari Masjid Dispute) पर शनिवार को सुप्रीम कोर्ट (Suprme Court) का ऐतिहासिक फैसला आया. रामलला को विवादित जमीन का मालिकाना हक मिलने के बाद वहां मंदिर बनने का रास्ता भी साफ हो गया है. अयोध्या मामले पर कोर्ट के फैसले के साथ ही सुप्रीम कोर्ट की इस बेंच ने देश के तमाम विवादित धर्मस्थलों पर भी अपना रुख स्पष्ट किया. कोर्ट के फैसले से साफ हो गया कि काशी (Kashi) और मथुरा (Mathura) में धार्मिक स्थलों की मौजूदा स्थिति आगे भी बनी रहेगी. उनमें बदलाव की कोई गुंजाइश नहीं रही.

सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों वाली बेंच ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शर्मा की उस राय को भी दरकिनार कर दिया, जिसमें कहा गया था कि धार्मिक स्थलों को लेकर सभी तरह के विवाद कोर्ट में लाए जा सकते हैं. जस्टिस शर्मा इलाहाबाद हाईकोर्ट की उस बेंच में शामिल थे, जिन्होंने 2010 में अयोध्या मामले पर फैसला दिया था. उन्होंने कहा था कि प्लेसेज़ ऑफ वर्शिप एक्ट लागू होने से पहले के भी धार्मिक स्थल से जुड़े विवाद की इस कानून के तहत सुनवाई की जा सकती है.

बता दें कि अयोध्या की तरह काशी के विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद (Vishwanath Mandir-Gyanvapi Masjid Dispute) विवाद और मथुरा में भी मस्जिद विवाद सालों से चल रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने 1,045 पेज के फैसले में 11 जुलाई, 1991 को लागू हुए प्लेसेज़ ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रोविज़न) एक्ट, 1991 का जिक्र करते हुए साफ कर दिया कि काशी और मथुरा के संदर्भ में यथास्थिति बरकरार रहेगी.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस शर्मा की इसी बात को कोट करते हुए चीफ जस्टिस (CJI) रंजन गोगोई, जस्टिस एस.ए. बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की बेंच ने अपने फैसले में देश के सेक्युलर चरित्र की बात की. कोर्ट ने शनिवार को अपने फैसले में कहा कि 1991 का यह कानून देश में संविधान के मूल्यों को मजबूत करता है. बेंच ने कहा, ‘देश ने इस एक्ट को लागू करके संवैधानिक प्रतिबद्धता को मजबूत करने और सभी धर्मों को समान मानने और सेक्युलरिज्म को बनाए रखने की पहल की है.’

क्यों बना था ये एक्ट
दरअसल, 1991 में केंद्र में नरसिम्हा राव की सरकार थी. उनकी सरकार को शायद एक साल पहले ही अयोध्या में बाबरी विध्वंस जैसा कुछ होने की आशंका हो गई थी. उस वक्त विवाद सिर्फ अयोध्या को लेकर ही नहीं था. काशी और मथुरा जैसे कई धार्मिक स्थल भी इसमें शामिल थे. किसी धार्मिक स्थल पर बाबरी विध्वंस जैसा कुछ न हो, इसके लिए उस वक्त (1991 में) एक कानून पास हुआ.

क्या कहता है ये एक्ट?
ये एक्ट साफ कहता है कि 15 अगस्त 1947 को भारत की आज़ादी के दिन से धार्मिक स्थानों की जो स्थिति है, वो उसी तरह बरकरार रहेगी. हालांकि, इस प्लेसेज़ ऑफ वर्शिप एक्ट (स्पेशल प्रोविज़न) 1991 में ये भी कहा गया है कि हर धार्मिक विवाद कोर्ट में ट्रायल के लिए लाया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने अयोध्या विवाद पर अपने विस्तृत फैसले में मथुरा-काशी विवाद को विराम देने की बात कही. बेंच ने कहा, ‘सार्वजनिक पूजा स्थलों को संरक्षित करने के लिए संसद ने बिना किसी अनिश्चित शब्दों के आदेश दिया है कि इतिहास को वर्तमान और भविष्य में विवाद के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.’

  • रिपोर्ट- यूपीपीसीएल मीडिया डेस्क

    हम सब जानते है कि मीडिया संविधान का चौथा स्तंभ के रूप में कार्य करती है। इसके साथ ही हमारा मानना है कि पत्रकार एक विपक्ष का का कार्य करती है। यूपीसीएल मीडिया नामक व्हाट्सप्प ग्रुप की शुरूवात ऊर्जा क्षेत्र के लिए समाचार संकलन का कार्य कर रहे कुछ पत्रकार, जिसमें प्रमुख रूप से अविजित आन्नद, वेद प्रकाश, रवि शर्मा व आकिब शामिल रहे, ने शक्ति भवन, लखनऊ परिसर में किया, उस समय किसी भी प्रकार को यह अंदाजा नहीं था, कि कुछ ही समय में यूपीसीएल मीडिया व्हाट्सप्प गु्रप विभाग में इतना लोक प्रिय हो जायेगा। यूपीसीएल मीडिया व्हाट्सप्प ग्रुप का विभाग में लोकप्रियता को देखते हुए आज यूपीसीएल मीडिया एक व्हाट्सप्प ग्रुप से एक कदम आगे वढ़ाते हुए समाचार क्षेत्र में भी कार्य करना प्रारम्भ किया। यूपीसीएल मीडिया ऊर्जा क्षेत्र में अपनी जिम्मेदारियों या कर्त्तव्यों को देखते हुए प्रिंट/वेब संस्करण के रूप में कार्य प्रारम्भ की है। यूपीसीएल मीडिया में हम यही करने की कोशिश कर रहे है और बिना आप सभी के सहयोग के यह संभव नहीं है। अतः मैं गुजारिश करूंगा कि बिजली उपभोक्ता एवं ऊर्जा क्षेत्र के अधिकारीयों के बीच बेहतर सामंजस्य के लिए हमारे साथ शामिल हो। आप सभी को मेरी शुभकामनाएँ !!

    OTHER UPPCL MEDIA PLATFORM NEWS

    UPPCL मीडिया EXCLUSIVE रिपोर्ट🔥 ऊर्जा भवन में हड़कंप: निदेशक (वित्त) स्वतंत्र कुमार तोमर पर भ्रष्टाचार और दुराचार के गंभीर आरोप!

    निदेशक (वित्त) स्वतंत्र कुमार तोमर पर भ्रष्टाचार, दुराचार और धमकी के सनसनीखेज आरोप! मेरठ। पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PVVNL) के मुख्यालय ऊर्जा भवन में तैनात निदेशक (वित्त) स्वतंत्र कुमार…

    ⚡ EXCLUSIVE: लाइनमैन ने मांगे ₹2 लाख — नहीं देने पर ठोका ₹4.93 लाख का फर्जी बिजली चोरी नोटिस!

    🔥 घोटाले की गंध: सपौला खंड में बिना जांच के ठोका ₹4.93 लाख का बिजली चोरी का नोटिस! हरदोई। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (MVVNL) के सपौला खंड में भ्रष्टाचार…

    ⚡ बिजली विभाग में बड़ा घोटाला! क्लर्क ने हड़पे 14 लाख, अफसरों की मिलीभगत से चलता रहा वसूली खेल ⚡

    ⚡ बिजली विभाग में बड़ा घोटाला! क्लर्क ने हड़पे 14 लाख, अफसरों की मिलीभगत से चलता रहा वसूली खेल ⚡

    बिजली कर्मचारियों से युवक ने की बदसलूकी: लाइन काटने पर विवाद, 15 दिन बाद भी कार्रवाई नहीं

    बिजली कर्मचारियों से युवक ने की बदसलूकी: लाइन काटने पर विवाद, 15 दिन बाद भी कार्रवाई नहीं

    📰 झांसी ब्रेकिंग: खेलते समय करंट की चपेट में आए दो मासूम, दोनों सगे भाइयों की दर्दनाक मौत

    📰 झांसी ब्रेकिंग: खेलते समय करंट की चपेट में आए दो मासूम, दोनों सगे भाइयों की दर्दनाक मौत

    राज स्वीट्स पर बिजली चोरी का भंडाफोड़: बायपास वायरिंग में फंसा होटल मालिक

    राज स्वीट्स पर बिजली चोरी का भंडाफोड़: बायपास वायरिंग में फंसा होटल मालिक

    राजेंद्र नगर पावर हाउस में वसूली का आरोप: रानीगंज के व्यापारी से जेई ने लिए 40 हजार रुपए

    राजेंद्र नगर पावर हाउस में वसूली का आरोप: रानीगंज के व्यापारी से जेई ने लिए 40 हजार रुपए

    सोलर कनेक्शन पर छापा! मीटर टेंपरिंग का पर्दाफाश — कॉपर वायर बरामद, मुकदमा दर्ज की तैयारी! ⚡

    सोलर कनेक्शन पर छापा! मीटर टेंपरिंग का पर्दाफाश — कॉपर वायर बरामद, मुकदमा दर्ज की तैयारी! ⚡
    WhatsApp icon
    UPPCL MEDIA
    Contact us!
    Phone icon
    UPPCL MEDIA
    Verified by MonsterInsights