यूपीपीसीएल में सेवा विस्तार के नाम पर घोटाले की पटकथा! वित्त निदेशक निधि नारंग के बचाव में दोबारा चिट्ठी भेजने से मचा बवाल

शासन की दो-टूक ‘ना’ के बाद भी चेयरमैन की ज़िद क्यों?
क्या निजीकरण की ‘डील’ पूरी कराने का है दबाव?

उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन (UPPCL) में निदेशक वित्त निधि कुमार नारंग को तीसरी बार सेवा विस्तार देने की सिफारिश को लेकर जबरदस्त विवाद खड़ा हो गया है। निदेशक वित्त निधि कुमार नारंग को तीसरी बार सेवा विस्तार दिलाने की कोशिशें अब तगड़ा सियासी और प्रशासनिक विवाद बन चुकी हैं। शासन की स्पष्ट असहमति के बावजूद, यूपीपीसीएल चेयरमैन डॉ. आशीष गोयल ने एक बार फिर सेवा विस्तार की सिफारिश भेज दी है, जिससे विभाग में उबाल है और कर्मचारियों का आक्रोश सड़कों तक उतरने को तैयार है।


🔥 बिजली कर्मचारियों का सीधा आरोप: यह सेवा विस्तार नहीं, निजीकरण सौदे की तैयारी है!

विद्युत कर्मचारी संगठनों ने इस सिफारिश को निजीकरण की साजिश करार देते हुए यूपीपीसीएल चेयरमैन डॉ. आशीष गोयल पर गंभीर आरोप लगाए हैं। संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने दावा किया कि निदेशक निधि नारंग निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए नियुक्त किए गए ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट ग्रांट थॉर्नटन के बेहद करीबी हैं और गोपनीय दस्तावेज भी उनके साथ साझा कर चुके हैं।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे का आरोप है कि निदेशक नारंग वही अधिकारी हैं जिन्होंने निजीकरण के लिए नियुक्त विवादित कंसल्टेंट ग्रांट थॉर्नटन को फर्जी एफिडेविट के बावजूद क्लीन चिट दी। अमेरिका में करोड़ों की पेनल्टी झेल चुकी इस एजेंसी से नारंग की ‘नजदीकी’ अब सवालों के घेरे में है।

“डॉ. गोयल निजी कंपनियों के इशारे पर काम कर रहे हैं। गोपनीय फाइलें कंसल्टेंट को भेजी जा रही हैं।”
शैलेंद्र दुबे, संयोजक, संघर्ष समिति

🧨 30 जुलाई को शासन ने खारिज किया था प्रस्ताव, फिर 31 जुलाई को दोबारा क्यों भेजा गया पत्र?

शासन के विशेष सचिव राजकुमार ने पहले ही पत्र भेजकर सेवा विस्तार को “अनुचित” ठहराया था। बावजूद इसके 24 घंटे में फिर से सेवा विस्तार की मांग उठना क्या किसी गहरी ‘सांठगांठ’ का संकेत है? 30 जुलाई को ऊर्जा विभाग के विशेष सचिव राजकुमार ने स्पष्ट शब्दों में सेवा विस्तार प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि “कोई औचित्य नहीं बनता।” बावजूद इसके, यूपीपीसीएल ने 31 जुलाई को एक नया पत्र भेजकर छह महीने का सेवा विस्तार या नए निदेशक के कार्यग्रहण तक नारंग को बनाए रखने की मांग की।

📉 **इतिहास का सबसे बड़ा घाटा: 19,644 करोड़!

और फिर भी वित्त निदेशक वही?**

विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने गंभीर आरोप लगाए हैं कि निदेशक नारंग के कार्यकाल में रिकॉर्ड घाटा दर्ज हुआ — एक ही साल में 19,644 करोड़ रुपये का वित्तीय अंतर। ये आंकड़े बताते हैं कि यह केवल अक्षमता नहीं, बल्कि सुनियोजित वित्तीय चालबाज़ी है।

“इतना बड़ा घाटा निजीकरण को जायज ठहराने की स्क्रिप्ट है।”
अवधेश वर्मा, अध्यक्ष, विद्युत उपभोक्ता परिषद

📬 मुख्य सचिव को संघर्ष समिति का पत्र: सेवा विस्तार रोका जाए!

संघर्ष समिति ने नवनियुक्त मुख्य सचिव शशि प्रकाश गोयल को पत्र भेजते हुए मांग की है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस नीति को देखते हुए निधि नारंग को सेवा विस्तार किसी भी कीमत पर न दिया जाए।

📄 यूपीपीसीएल के पांच तर्क जो शासन को भेजे गए:

  1. निदेशक पदों की चयन प्रक्रिया जारी है, जब तक नया चयन न हो, तब तक निरंतरता बनी रहे।

  2. नारंग का अनुभव एनटीपीसी, एमबी पावर, रिलायंस इन्फ्रा जैसी कंपनियों में रहा है।

  3. निजीकरण प्रक्रिया के लिए अनुभवी निदेशक की जरूरत है।

  4. असेट वैल्यूएशन, बैलेंस शीट तैयारी और रेगुलेटर समन्वय जैसे कार्य लंबित हैं।

  5. एनर्जी टास्क फोर्स की समिति में निजीकरण की रणनीति पेश की जा चुकी है, जिसमें निदेशक वित्त की महत्वपूर्ण भूमिका है।

⚠️ कॉस्ट डेटा बुक की आड़ में निजीकरण का खेल?

1 अगस्त को विद्युत नियामक आयोग में हुई गुपचुप बैठक भी विवादों में है। सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक के जरिए कनेक्शन शुल्क 50% तक बढ़ाने की साजिश है, जबकि नियामक प्रक्रिया में यह मसौदा अभी अधूरा है। पावर कॉरपोरेशन और आयोग के बीच हो रही गुप्त बैठकों ने उपभोक्ताओं की चिंता और कर्मचारियों के आक्रोश को और भड़काया है।

🛑 अध्यक्ष महोदय, कृप्या जबाब दीजिए:

  • जब शासन ने “ना” कह दिया, तो चेयरमैन ने किसके कहने पर दोबारा सिफारिश भेजी?

  • क्या वित्तीय घाटे का ढोल पीटकर निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने की साजिश हो रही है?

  • क्या ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट से सांठगांठ के लिए ही नारंग को रोके रखना जरूरी है?

🎯  क्या कहना है UPPCL MEDIA का :

“जहां एक तरफ मुख्यमंत्री योगी जी पारदर्शिता और भ्रष्टाचार-मुक्त शासन की बात करते हैं, वहीं ऊर्जा विभाग में अधिकारियों की मनमानी और निजी घरानों से मेलजोल चिंता का विषय है। यदि शासन स्तर पर दोबारा इस सेवा विस्तार को स्वीकृति मिलती है, तो यह जनहित के साथ खुला धोखा होगा।”


🟨 खबर पर नजर बनाए रखें, UPPCL MEDIA लाएगा अगला खुलासा जल्द…
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  • UPPCL MEDIA

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