लखनऊ। स्थान्तरण सिर्फ दिखावा मात्र… भ्रष्ट अधिकारी अपनी कुर्सी का मोहभंग नहीं कर पा रहे है। हैरानी की विषय यह कि इस प्रकरण में उच्च अधिकारी भी खामोश है, कार्यालय में मातम छाया हुआ है। एक स्थान्तरित अधिकारी तो एक गाना भी गुनगुना रहे है कि ‘‘हमें तो लूट लिया अपनो ने‘‘… यदि हम जानकारों की माने तो इस गुनगुना रहे लाइन के पीछे बहुत गम्भीर राज है, जो जल्द जिन्न की तरह बाहर निकलेंगा।
क्या करे… हम भी इंसान है, हम उच्च अधिकारीयों के दर्द का अच्छी तरह समझते है कि यह स्थान्तरण उनके लिए कितना नुकसान दायक है।
लगभग 12 दिन पूर्व हुए स्थान्तरण आदेश में बदलाव करते हुए 3 दिन पूर्व एक बार फिर इंजीनियर सौरभ कुशवाहा स्थान्तरण आदेशः पत्रांक संख्या 3213 दिनांक 6/11/2024, जिसके अनुसार 33/11 केवी उपकेन्द्र- सुगागऊ, अन्तर्गत विद्युत नगरीय वितरण खण्ड मुंशीपुलिया कार्यालय से हटाकर विद्युत नगरीय वितरण मण्डल, कार्यालय- गोमतीनगर में सम्बद्ध करने का आदेश जारी किया गया है…. उक्त स्थान्तरण पत्र में साफ निर्देशित किया गया था कि इकाई प्रमुख / नियंत्रक अधिकारी का दायित्व होगा कि उपरोक्त कार्मिक को बिना प्रतिस्थानी की प्रतीक्षा किये स्थानीय व्यवस्था से तत्काल कार्यमुक्त कर दिया जाये….. लेकिन हम तो पढ़े लिखे है नहीं , इसलिए शायद उच्च अधिकारीयों की नजर में तत्काल का मतलब कुछ और होता होगा… इसलिए अभी तक 33/11 केवी उपकेन्द्र- सुगागऊ वैठ कर किये गये गलती का सबूत मिटा रहे है, जिसका खुलासा हम दूसरे रिपोर्ट में करेंगे।
यहीं नहीं यदि हम इंजीनियर सौरभ कुशवाहा के रिपोटिंग अधिकारी इंजीनियर अरविन्द कुर सिंह की बात करे, तो यह भी लगभग चार उपभोक्ताओं का खून चूसने के बाद भी यहां के उपभोक्ताओं के खून का स्वाद नहीं भूल पा रहे है, यह भी अपनी कुर्सी से फेविकोल की तरह चिपक गये है… कि इंजीनियर अरविन्द कुमार सिंह स्थान्तरण आदेशः पत्रांक संख्या 3102 दिनांक 29/10/2024, जिसके अनुसार 33/11 केवी विद्युत उपकेन्द्र- सेक्टर 14 (ओल्ड) मुंशीपुलिया, लखनऊ से हटाकर विद्युत नगरीय वितरण खण्ड, गोमतीनगर लखनऊ में कर किया गया है। उक्त आदेश के लगभग 11 दिन बाद भी उपभोक्ताओं का खून चूस रहे है, यहीं नहीं यह तो एक कदम आगे बढ़ते हुए अपने स्थान पर तैनाती होने वाले इंजीनियर को ही सेट कर लिया, जिनके कारण आज भी कुर्सी से चिपके हुए है। इस सन्दर्भ में जब नये उपखण्ड अधिकारी इंजीनियर राजीव रंजय राय से इस विषय पर जानकारी ली, तो बताया कि ऐसा कोई पत्र मिला ही नहीं… जिसके उपरान्त हमारे द्वारा उनको स्थान्तरण पत्र आदेश संख्याः : पत्रांक संख्या 2333 दिनांक 06/11/2024 को व्हाट्सप्प के माध्यम से उपलब्ध कराया गया।
उक्त सभी प्रकरण में यह साफ है कि एक सुनियोजित तरीके किये गये अपराध का सजा न देते हुए सिफ दिखावा मात्र स्थान्तरण कर दिया जाता है… स्थान्तरण होने के बाद भी इतना समय दिया जाता है कि स्थान्तरित अधिकारी अपने कुर्सी पर बैठ कर आरोपित प्रकरण में सभी सबूत को खत्म कर दे, ताकि यदि कोई जॉच होती भी है, तो कोई सबूत न मिले।
यदि निकट भविष्य में विभाग उक्त प्रकरण में राजस्व नुकसान को लेकर निलम्बन जैसे कारवाई कर दे, तो क्या विभाग को हुए नुकसान की प्रतिपूर्ति हो जायेंगी… इस लिए यदि हम विभाग हित की बात करें, तो विभाग को एक कदम आगे जाते हुए कारवाई के साथ-साथ दोषी इंजीनियर के वेतन से कटौती कर उक्त धनराशि की पूर्ति करना चाहिए… नहीं तो पूर्व की तरह जमकर कर इंजीनियर उपभोक्ताओं का खून चूसने का खेल खेलते हुए अपनी और अपने उच्च अधिकारीयों की जेब गरम करते है, यदि कोई मामला फस जाये तो वहीं उच्च अधिकारी उपरोक्त इंजीनियर के बचाव में फर्जी रिपोर्ट लगा देते है, ज्यादा मामला तूल पकड़ता हे, तो स्थान्तरण कर देते है, फिर भी कोई ज्यादा पीछे पड़ा तो दिखाने के नाम पर निलम्बन कर देते है, फिर कुछ दिन बाद मौका देखकर धीरे से बहाल कर देते है, जॉच दिखावा के नाम पर चलती रहती है।








