
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में समान नागरिक संहिता दरअसल एक देश एक कानून की विचारधारा पर आधारित है। भारत वर्ष में एक राष्ट्र – एक कानून के दायरे में सभी प्रकार की सर्विस अथवा विभाग की सेवाएं सम्पूर्ण भारतवर्ष में एक जैसा नियम कानून लागू है।
इसी क्रम में हम बात करते हैं उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन की, तो यहां भी एक ही नियम सभी डिस्कॉम सहित पूरे उत्तर प्रदेश में लागू है, लेकिन उसके उपरांत भी अलग-अलग डिस्कॉम तो दूर की बात है अलग-अलग जनपद में अलग-अलग डिवीजन में अपने अनुसार स्वःभू नियम/कानून लागू कर रखे हैं।
2023 में 16 से 19 मार्च तक बिजली कर्मचारियों ने प्रदेशव्यापी सांकेतिक हड़ताल की थी। इस दौरान पूरे प्रदेश में 124 कार्मिकों को निलंबित किया गया था, जिसमें से किसी न किसी तरीके अथवा अप्रोच से 67 कार्मिकों बहाल भी हो गए हैं। ऐसी हालात में ऊर्जा विभाग यह बताने में असमर्थ है कि जब सभी का अपराध (नेचर ऑफ क्राइम) एक है, तो सजा अलग -अलग क्यों ??
एक साल से अभी भी निलंबित चल रहे बिजली विभाग के 57 कर्मचारियों को जल्द बहाल करने का आसार अब दिखने लगे है, जिसका प्रमुख कारण आगामी लोकसभा चुनाव भी है, इस प्रकार का पहला संकेत गत शनिवार को ऊर्जा मंत्री ए के शर्मा ने विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के चार पदाधिकारियों के साथ बैठक में मिले। इस बैठक में ऊर्जा मंत्री एके शर्मा के करीबी नेता पी एन तिवारी के दावानुसार शैलेन्द्र दुबे के बिना ही होगी वार्ता के अनुसार शैलेन्द्र दुबे संघर्ष समिति के पदाधिकारियों के साथ शनिवार को ऊर्जा मंत्री एके शर्मा से मुलाकात के समय शैलेन्द्र दुबे नजर नहीं आये। इस दौरान संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने निलंबित कर्मचारियों को बहाल करने की मांग उठाई। इस पर ऊर्जा मंत्री ने पावर कॉरपोरेशन चेयरमैन डॉ. आशीष गोयल से फोन पर बात कर निर्देश दिए कि मार्च 2023 के आंदोलन के कारण की गई उत्पीड़न की सभी कार्यवाहियां वापस लें। अब उम्मीद की जा रही है कि आचार संहिता लगने के पूर्व संघर्ष समिति के पदाधिकारियों एवं अध्यक्ष – पावर कारपारेशन के साथ बैठक होगी, जिसमें निलंबित कर्मचारियों को बहाल करने की मांग उठाएंगे। ये निलंबित कर्मचारी अलग-अलग बिजली कंपनियों से संबंधित हैं।