झूठे कागज़ात से बना L1 — टेंडर प्रक्रिया की साख पर लगा दाग
उन्नाव। रायबरेली जोन के अंतर्गत उन्नाव जनपद में ई-टेंडरिंग के माध्यम से जारी टेंडर नंबर 52/E.D.C./उन्नाव/2025-26 में भारी अनियमितताओं का मामला सामने आया है।
प्राप्त शिकायत पत्र के अनुसार, मेसर्स पाण्डेय इंटरप्राइजेज नामक फर्म ने झूठे और अपूर्ण दस्तावेज़ प्रस्तुत कर टेंडर प्रक्रिया में भाग लिया और गलत तथ्यों के आधार पर L1 घोषित होकर ठेका प्राप्त कर लिया।

🚨 तीन वाहन फर्जी दस्तावेज़ों से दर्ज बताए गए
पत्र के अनुसार, फर्म द्वारा जिन तीन वाहनों के पंजीकरण और बीमा दस्तावेज़ प्रस्तुत किए गए हैं, वे सभी संदिग्ध पाए गए—
1️⃣ UP35BK4862 – बीमा समाप्त; वाहन निजी श्रेणी का, पर परिवहन विभाग में व्यावसायिक के रूप में दर्ज नहीं।
2️⃣ UP78HN7018 – केवल पंजीकरण पत्र प्रस्तुत; बीमा अनुपस्थित, वाहन निजी उपयोग का।
3️⃣ UP35AT2347 – बीमा समाप्त; यह भी निजी वाहन श्रेणी में।
स्पष्ट है कि ये वाहन टेंडर की शर्तों के अनुरूप नहीं हैं और फर्म द्वारा तथ्यों को छिपाकर भागीदारी की गई।

⚠️ फर्जी हलफनामा और अधूरा अनुज्ञापत्र भी
फर्म ने जो नोटरी शपथ पत्र (संख्या 035707, वर्ष 2023) प्रस्तुत किया है, उसकी वैधता केवल छह माह की थी, जो अब समाप्त हो चुकी है।
इसके अलावा दारोगा विभाग द्वारा जारी अनुज्ञापत्र भी अधूरा और मानकों के विपरीत पाया गया है।

🏛️ जांच और ठेका निरस्तीकरण की मांग
शिकायतकर्ता ने मांग की है कि फर्म द्वारा प्रस्तुत फर्जी दस्तावेज़ों की उच्चस्तरीय जांच कर ठेका तत्काल निरस्त किया जाए, और टेंडर प्रक्रिया को पारदर्शी तरीके से पुनः संचालित किया जाए।

टेंडर बाबू पर नियमों की उड़ाई धज्जियां, शिकायतकर्ता महिला को दिया खुला चैलेंज
पावर कारपोरेशन के नियमों को ताक पर रखकर प्रतिदिन लखनऊ से उन्नाव जाकर ड्यूटी निभाने वाले टेंडर बाबू मोहन वर्मा एक बार फिर विवादों में हैं। जानकारी के अनुसार, एक शिकायतकर्ता महिला सुनीता सिंह ने संबंधित टेंडर प्रक्रिया में अनियमितताओं की शिकायत दर्ज कराई थी। लेकिन मोहन वर्मा ने शिकायत सुनने के बजाय महिला को साफ तौर पर कह दिया कि —
> “आपको जो भी कार्रवाई करनी हो कर दीजिए, हमारी ओर से यह टेंडर रद्द नहीं होगा।”
सूत्रों के अनुसार, विभागीय नियमों के अनुसार किसी कर्मचारी को अपने तैनाती स्थल के बाहर नियमित रूप से ड्यूटी करना प्रतिबंधित है, लेकिन मोहन वर्मा लगातार लखनऊ से उन्नाव जाकर कार्य कर रहे हैं। इस पर विभागीय अधिकारियों की चुप्पी भी कई सवाल खड़े करती है।

विभागीय सूत्रों का कहना है कि यदि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए, तो टेंडर प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं सामने आ सकती हैं।
💬 यूपीपीसीएल मीडिया की टिप्पणी
सूत्रों के अनुसार, यह मामला टेंडरिंग प्रणाली की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाता है।
यदि आरोप सही पाए गए, तो यह विभागीय मिलीभगत और भ्रष्टाचार का बड़ा उदाहरण साबित हो सकता है।
अब निगाहें प्रशासनिक कार्रवाई पर टिकी हैं— क्या दोषियों पर गिरेगी गाज, या मामला फिर फाइलों के बोझ तले दब जाएगा?
(रिपोर्ट: यूपीपीसीएल मीडिया)








