41 साल बाद फिर लौटेगी वर्टिकल व्यवस्था: 1983-84 में भी लागू थी ऐसी ही प्रणाली

पुरानी प्रणाली का आधुनिक रूप — अब डिजिटल सिंगल विंडो सिस्टम से होगा कार्य संचालन, हर जिम्मेदारी तय होगी अलग-अलग स्तर पर

लखनऊ। बिजली विभाग में लागू की जा रही नई वर्टिकल व्यवस्था कोई नई पहल नहीं है। यह प्रणाली करीब 41 साल पहले भी उत्तर प्रदेश विद्युत परिषद (UPSEB) के दौर में लागू थी। उस समय भी बिजली विभाग में कार्य विभाजन इसी ढंग से किया गया था, जिसमें हर प्रकार के कार्य के लिए अलग-अलग जिम्मेदार अधिकारी नियुक्त होते थे।

एक पूर्व अधिकारी के अनुसार, 1983-84 में विद्युत परिषद के समय दो मुख्य अधीक्षण अभियंता (Superintending Engineer) हुआ करते थे —
एक टेस्ट एंड कमीशनिंग और दूसरा कॉमर्शियल विभाग का।

टेस्ट एंड कमीशनिंग विभाग की जिम्मेदारी में नए कनेक्शन जारी करना, लाइन और डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क का निर्माण, सप्लाई मेंटेनेंस और तकनीकी कार्य शामिल थे। वहीं कॉमर्शियल विभाग राजस्व वसूली, बिलिंग और उपभोक्ता सेवाओं का संचालन देखता था।

कॉमर्शियल विभाग के अधीन एक विशेष ‘डिस्कनेक्ट गैंग’ भी होती थी, जो बिजली चोरी, लाइन लॉस और अनियमितताओं पर कार्रवाई करती थी। इस तरह उस समय भी विभागीय कामकाज को कार्य-आधारित (वर्टिकल) तरीके से संचालित किया जाता था।

वर्तमान में लागू की जा रही नई वर्टिकल व्यवस्था भी उसी पुराने ढांचे का आधुनिक रूप है, जिसमें अब शिकायत और कार्य संचालन की प्रक्रिया को सिंगल विंडो डिजिटल सिस्टम के तहत जोड़ा जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इसे पारदर्शी तरीके से लागू किया गया, तो यह व्यवस्था बिजली विभाग के लिए उपयोगी साबित हो सकती है।

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