
विवादित अवर अभियंता नमो नारायण को एक कमरे से हटाकर दूसरे कमरे (यदि हम डिवीजन को एक मकान माने, तो) में किया शिफ्ट… अहम सवाल – क्या यह शिफ्टिंग से यह संपूर्ण मुद्दा खत्म हो गया?
इस शिफ्टिंग की खेल में भी विवादित अवर अभियंता नमो नारायण ने मारी बाजी… कैसे यह जानने का प्रयास करते हैं….
👉 इस खेल में भी अपने उच्च अधिकारियों को गुमराह करते हुए निर्दोष लोगों को (जो उसे वक्त पावर हाउस पर मौजूद ही नहीं थे) बनाया बली का बकरा…
👉 इस खेल में विवादित अवर अभियंता नमो नारायण ने अपने चहेते कुशल संविदा कर्मी/ ऑपरेटर अनमोल श्रीवास्तव को अनुपस्थित दिखाते हुए किया बचाव… जबकि उपभोक्ता के साथ मारपीट में इसका था अहम रोल
👉 इस खेल में विवादित अवर अभियंता नमो नारायण को कैमरे की जद में आने के कारण
मजबूरी वश भूपेंद्र यादव का देना पड़ा उच्च अधिकारियों को नाम…
👉 इस खेल में विवादित अवर अभियंता नमो नारायण जेब गरम न करने के में सहयोग न करने के कारण परशुराम, रवि कुमार व रणजीत राजपूत को बनाया बली का बकरा… जबकि यह तीनों उक्त समय में घटना स्थल पर मौजूद थे ही नहीं… जिसकी पुष्टि वहां लगे कैमरे से की जा सकती है.
👉 इस खेल में विवादित अवर अभियंता नमो नारायण ने अपने सभी चाहते संविदा/ टीजी 2 कर्मियों को बचाने का किया प्रयास जिसमें हुए सफल भी… जबकि इस मारपीट के खेल में अनमोल श्रीवास्तव, भूपेंद्र यादव के साथ-साथ टीजी 2 विपिन वर्मा व अजय शर्मा नामक संविदा कर्मी भी शामिल था.. जिसमें भूपेंद्र यादव को छोड़कर बाकी सभी कर्मचारियों को बचा लिया गया…
विवादित अवर अभियंता नमो नारायण की उपभोक्ता के साथ यह पहले मारपीट की घटना नहीं थी… इसके पहले भी दो अन्य उपभोक्ता के साथ इसी तरह मारपीट कर चुका था… लेकिन कोई कार्रवाई न होने के कारण हौसला बढ़ता गया… जिसका नतीजा यह तीसरी घटना है… हम इस पूरे घटनाक्रम में विवादित अवर अभियंता नमो नारायण को तो जिम्मेदार मानते हैं, लेकिन उससे भी ज्यादा जिम्मेदार हम मानते हैं संबंधित उच्च अधिकारियों को… जिन्होंने पूर्व में हुई घटना को जांच के नाम पर दरकिनार करते हुए पूरे मामले की लीपापोती कर दी… कोई कार्रवाई नहीं किया गया… जिसके कारण आज इस प्रकार के घटना को विवादित अवर अभियंता नमो नारायण ने अंजाम दिया…
हैरानी का विषय यह है कि इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी उच्च अधिकारियों ने… यहां तक प्रबंध निदेशिका रिया केजरीवाल ने भी यह जानने का प्रयास नहीं किया कि की घटना स्थल पर लगे कैमरा को मारपीट के समय बंद क्यों कर दिया गया… जबकि उपभोक्ता के आने… व मारपीट उपरांत समान बिखरी हुई… का नजारा कैद होता है… मारपीट क्यों नहीं कैद हुई?
क्या कभी किसी अधिकारी ने उक्त उपभोक्ता से यह जानने का प्रयास किया कि अखिर यह मारपीट हुई क्यों?
जरा सोचिए…यदि आपके दुकान का उद्घाटन कल होना हो… और अभी तक उद्घाटन होने वाले दुकान में लाइट नहीं आए… तो आप किस प्रकार से देरी करने वाले अधिकारियों के साथ पेश आएंगे…
खैर यह संपूर्ण प्रकरण में भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा पर कर चुके भ्रष्ट अधिकारियों ने उक्त फेर बदल करके भले ही अपनी इज्जत बचाने की कोशिश किया हो… लेकिन “यूपीपीसीएल मीडिया” की नजर से देखे, तो इससे उसकी इज्जत बचाने वाली नहीं है… यह लड़ाई तब तक चलती रहेगी.. जब तक पीड़ित उपभोक्ता को न्याय न मिल जाए…
बताते चले कि मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लि0 अंतर्गत अधीक्षण अभियंता विद्युत नगरीय वितरण मण्डल – गोमतीनगर लखनऊ ने हाल में हुए उपभोक्ता के साथ मारपीट के प्रकरण में विवादित अवर अभियंता नमो नारायण को 33/11 के0वी0 विद्युत उपकेन्द्र–सेक्टर-5 गोमतीनगर विस्तार से प्रशासनिक आधार पर स्थानान्तरित कर विद्युत नगरीय वितरण खण्ड– गोमतीनगर के क्षेत्रान्तर्गत 33/11 के०वी० विद्युत उपकेन्द्र-विपिन खण्ड, गोमतीनगर लखनऊ पर तत्काल प्रभाव से तैनात कर दिया जाता है…जबकि यहां पर तैनात अवर अभियन्ता विजय कुमार दुबे को स्थानान्तरित कर विद्युत नगरीय वितरण खण्ड-चिनहट के क्षेत्रान्तर्गत 33/11 के0वी0 विद्युत उपकेन्द्र-सेक्टर-5, गोमतीनगर विस्तार पर नमो नारायण की जगह तत्काल प्रभाव से तैनात कर दिया जाता है. यह तैनाती आदेश अधीक्षण अभियन्ता आशीष सिन्हा ने किया…
समझ में नहीं आ रहा कि यह स्थानांतरण विभाग अपने इज्जत बचाने के लिए किया है कि पीड़ित उपभोक्ता को न्याय दिलाने के लिए किया है…