
दक्षिणांचल विघुत वितरण निगम लिमिटेड नामक डिस्कॉम में एक अधीक्षण अभियन्ता खुद को प्रबन्ध निदेशक का पावर प्रयोग करते हुए एक अधिशासी अभियन्ता को अतिरिक्त कार्यभार … जारी करने का मामला प्रकाश में आया है, हॉलाकि किसी अधिशासी अभियन्ता को अतिरिक्त कार्यभार देने का कार्य मुख्य अभियन्ता भी कर सकता है, लेकिन अधीक्षण अभियन्ता नहीं कर सकता।
मामला जनपद मथुरा स्थित विघुत वितरण मण्डल-द्वितीय के अधीक्षण अभियन्ता से जुड़ा है, जहां इंजीनियर विजय मोहन खेड़ा ने मौजूदा अनाधिकृत रूप से कैजुवल अवकाश पर गये अधिशासी अभियन्ता इंजीनियर सिद्वार्थ रंजन का अतिरिक्त कार्यभार इंजीनियर भूपेन्द्र सिंह को सौपने सम्बन्धित कार्यालय ज्ञाप कर दिया।
जबकि इस प्रकार के कार्यालय ज्ञाप करने की अधिकार सिर्फ प्रबन्ध निदेशक को है। सबसे खास बात यह कि इस कार्यालय ज्ञाप में छुट्टी की अवधि तक नहीं दर्शाई गई है, अधीक्षण अभियन्ता के पास सिर्फ चार दिन का छुट्टी अधिकृत करने का पावर है, तो अधिशासी अभियन्ता इंजीनियर सिद्वार्थ रंजन को चार दिन से अधिक छुट्टी कैसे अपु्रप कर दी, इस लिए यह सन्देहजनक प्रतीत होती है।
सम्भवतः सम्बन्धित अधिशासी अभियंता को अपने स्थानांतरण की पैरवी करने की छुट्टी दी गई है, इसके साथ ही आकस्मिक कारण तक का जिक्र नहीं किया गया है।
अतिरिक्त कार्यभार कोई घर की खेती नहीं है वकायदा हैंडओवर होता है, ईआरपी पर चढ़ता है। इसके साथ विभागीय नम्बर का सिम को हैंडओवर होता है, न कि कॉल फारवर्ड होता है… अभी हाल में ही एक छुट्टी पर गये अधिकारी का विभागीय नम्बर मौजूदा किसी अधिकारी के नम्बर पर कॉल फारवर्ड पाया गया था, जिसके कारण उसको निलम्बित कर दिया गया था। इसके अतिरिक्त सबसे महत्वपूर्ण तत्थ अधीक्षण अभियन्ता किसी अधिशासी अभियन्ता को किसी भी कार्यालय ज्ञाप में आदेशित नहीं कर सकता, बल्कि निर्देशित करेगा।