
उत्तर प्रदेश में मुआवजा कानून को शत प्रतिशत लागू करने की मांग काफी समय से की जाती रही है, जिसको देखते हुए मुआवजे का प्रावधान पहली बार नई विद्युत संहिता में किया गया है। जिसके तहत आपके यहां अगर बिजली कनेक्शन लेने के बाद दो महीने तक बिल नहीं मिलता तो विभाग को हर महीने पांच सौ रुपए जुमाना देगा। इस तरह का मुआवजे का प्रावधान पहली बार नई विद्युत संहिता में किया गया है।
बिजली कनेक्शन लेने के बाद दो बिलिंग चक्र तक उपभोक्ता को बिल न दिए जाने पर प्रति बिलिंग चक्र 500 रुपये के हिसाब से मुआवजे का प्रावधान है। राजधानी लखनऊ में 46 किलोवाट के बिजली कनेक्शन धारक को एक साल तक बिजली बिल न दिए जाने का मामला सामने आने के बाद यह बात उपभोक्ता परिषद ने कही है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा है कि बिजली कंपनियों में इतनी सघन मॉनिटरिंग के बाद भी इस प्रकार बरती जा रही उदासीनता पर पावर कॉरपोरेशन को गंभीरता से विचार करना चाहिए।
मुआवजा कानून को शत प्रतिशत लागू किए जाने की मांग की गई है ताकि उपभोक्ताओं की हर समस्या का समाधान तय समय में हो सके और इसके उल्लंघन पर मुआवजा मिल सके। उन्होंने कहा कि लखनऊ की तरह प्रदेश भर में ऐसे तमाम उपभोक्ता हैं, जिन्हें कनेक्शन लेने के बाद बिल जारी नहीं किए जाते। वे दफ्तरों के चक्कर काटते रहते हैं।
परिषद अध्यक्ष ने कहा कि विद्युत वितरण संहिता- 2005 की धारा 7.7.2 (डी) में यह प्रावधान है कि यदि किसी भी विद्युत उपभोक्ता को बिजली कनेक्शन प्रदान करने की तारीख से दो बिलिंग चक्र के अंतर्गत प्रथम बिल निर्गत नहीं किया जाता तो विलंब के प्रत्येक बिल चक्र के लिए उपभोक्ता को 500 रुपये का मुआवजा देना पड़ेगा। ऐसे मामलों की त्रैमासिक रिपोर्ट भी बिजली कंपनयों को नियामक आयोग को सौंपनी होगी।