
मेरठ। एक तो पहले ही महंगी बिजली और ऊपर से बिल जमा होने के बाद भी जनता को बकायेदार बनाकर ऊर्जा निगम के कर्मचारी और अधिकारी खुद मालामाल हो रहे है, जबकि उपभोक्ता बेहाल हो रहे हैं। ऊर्जा निगम में सरेआम चल रहे इस लूट के धंधे को बदस्तूर रखने और वसूली के लिए लाइनमैनों ने अपने आदमियों को छोड़ रखा है, जिससे परेशान उपभोक्ता ने उपभोक्ता फोरम में इंसाफ की गुहार लगाई है।
पहले पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के कर्मचारी खुद ही लोगों के घरों में जाकर मीटर देखकर रीडिंग लेते थे, लेकिन पीवीवीएनएल ने अब बिजली के बिल बनाने का कार्य प्राइवेट सेक्टर में दे रखा है। ऊर्जा निगम की ओर से इस समय उपभोक्ताओं को जो बिल भेजे जा रहे हैं, उसमें ऐसी रकम उपभोक्ताओं के खातों में ऐसी जोड़ दी गई, जितनी रीडिंग वास्तव में उपभोक्ताओं ने फूंकी ही नहीं है। अब जिस उपभोक्ता को इस खामी के बारे में पता चल रहा है तो वह दौड़-दौड़ कर क्षेत्र के बिजली घर पर अवर अभियन्ता व उपखण्ड अधिकारी के पास पहुंचकर गुहार लगा रहा है। रोज सैकड़ो की भीड़ बिजली घरों पर इस उम्मीद पर पहुंच रही है कि उनके बिजली के बिलों को सही किया जाये। लेकिन इसमें भी सिर्फ उन लोगों की ही सुनवाई हो पा रही है जो उपभोक्ता अवर अभियन्ता व उपखण्ड अधिकारी को कुछ आर्थिक लाभ उपलब्ध करा दिया जाता है, तो उपभोक्ता के बिजली बिल में सुधार कर वास्तव में प्रयोग की गई बिजली की रीडिंग के आधार नया बिल बनाया जाता है।
बिल जमा, लेकिन बकायेदार में नाम
राधने वाली गली निवासी रईस ठेले पर फल बेचने वाला रईसु बताता है कि वह लगातार बिल जमा करता है। इसके बावजूद फरवरी माह में उसको जो बिल दिया गया है। उसमें आठ हजार रुपये पिछले बकाया के जोड़े गये हैं। जबकि उसका कोई बिल बकाया नहीं है। इसी तरह श्याम नगर खजूर वाले पेड़ के पास रहने वाले सलीम अलवी को दिसंबर माह में छह हजार रुपये का बिल भेजा गया है। जबकि सलीम का भी कहना है कि वह लगातार बिल जमा करता है। हापुड़ में चंदू नामक उपभोक्ता के घर छह महीने पहले ऊर्जा निगम के दो लाइनमैन तथा एक अवर अभियन्ता पहुंचा तथा उसके मीटर को उतारकर इसे खराब बताते हुए उतार लिया। जब बिजली घर पर जाकर चंदू ने पता किया तो उसे कहा गया कि उसका मीटर चेक होने के लिए लैब में भेजा गया है। इसके बाद उससे बिजली घर के ही स्टाफ ने सेटिंग शुरू कर दी तथा 11 हजार रुपये में मामला निपटाने को कहा। बाद में मीटर को शंट बताते हुए 33 हजार रुपये का नोटिस भेज दिया। जबकि उसपर पूर्व का कोई बिल बकाया नहीं है।
पूर्वी मुस्तफाबाद निवासी यूनुस पुत्र मुश्ताक ने उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम में वाद दायर किया है। इसमें “कहा गया है कि उसने अपने घर पर कनेक्शन लेने के लिए आवेदन किया। जिसपर 18 जुलाई 2013 को एक किलोवॉट का कनेक्शन 5708/720908 जारी किया गया तथा दो हजार रुपये सिक्योरिटी मनी ली गई। तब से वह लगातार बिल जमा करता आ रहा है। इसके बावजूद उस पर 42700 का बिल भेज दिया गया। जब उपखण्ड अधिकारी से इस बारे में बात की तो टरका दिया। युनूस ने उपखण्ड अधिकारी के खिलाफ पांच लाख रुपये की मानहानि का दावा किया है। साथ ही उसने बिल तथा मोबाइल पर आये मैसेज भी कोर्ट में जमा किये हैं। कोर्ट ने इस मामले में नोटिस जारी किया है।
इस सन्दर्भ में प्रबन्ध निदेशक – पश्चिमांचल विघुत वितरण निगम अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने बताया कि ऑनलाइन पैमेंट जमा होने के बाद भी बकाया बिल शो हो रहा है। इसके लिए साइट को दिखाया जा रहा है। मोबाइल ऐप से भुगतान करने वालों की समस्या के निदान के निर्देश दिये हैं।