20 साल पहले हुए प्रोन्नति घोटाले में विद्युत सेवा आयोग के 5 पूर्व अफसरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज

लखनऊ। उप्र विद्युत सेवा आयोग में करीब 20 साल पहले हुए प्रोन्नति घोटाले में उप्र सतर्कता अधिष्ठान ने आयोग के पांच पूर्व अधिकारियों समेत परीक्षा लेने वाली कंपनी की संचालिका के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कर लिया है। विजिलेंस ने इन अधिकारियों के खिलाफ यह कार्रवाई नियमों को ताक पर रखकर परिचालकीय संवर्ग के कर्मचारियों को अवर अभियंता के पद पर पदोन्नति दिए जाने के मामले में की है।

जिन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है, उनमें विद्युत सेवा आयोग के तत्कालीन उप सचिव राजेश कुमार (आरके राम), उप महाप्रबंधक व सदस्य लालचंद्र व वीसी जोशी, अधिशासी अभियंता बीके श्रीवास्तव व आलोक वर्मा तथा परीक्षा आयोजित करने वाली एजेंसी मेसर्स डाटा प्वाइंट की संचालिका सरिता मिश्रा शामिल हैं। वहीं इस अनियमितता में शामिल रहे विद्युत सेवा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष सुधीर कुमार शर्मा, सचिव गोपाल राम का निधन हो चुका है।

2004 में अवर अभियंता के 863 पदों पर प्रोन्नति में भ्रष्टाचार के मामले में सतर्कता आयोग ने की कार्रवाई
विजिलेंस के लखनऊ सेक्टर थाने में दर्ज कराए गए मुकदमे के मुताबिक उप्र पावर कॉरपोरेशन के विद्युत सेवा आयोग के माध्यम से 2004 में परिचालकीय कर्मचारियों को अवर अभियंता के 863 रिक्त पदों पर पदोन्नति दी गई थी। इसके लिए प्रदेश में छह केंद्रों पर लिखित परीक्षा आयोजित की गई थी। परीक्षा में कई स्तरों पर गड़बड़ी की शिकायतें हुई थी। इसी आधार पर इस मामले की जांच विजिलेंस को सौंपी गई थी। मुकदमे में बताया गया है कि परीक्षा की ओएमआर सीट की डिजाइन में नियमों की अनदेखी की गई थी और इसका सत्यापन करने वाले कई अधिकारियों ने मिलकर परीक्षा की शुचिता को भंग किया है। प्राथमिकी में यह भी बताया गया है कि कई योग्य अभ्यर्थियों के स्थान पर अयोग्य लोगों को उत्तीर्ण घोषित कर उनका चयन किया गया है।

पावर कॉरपोरेशन के तीन उप खंड अधिकारियों समेत छह पर भ्रष्टाचार का मुकदमा
हरदोई के गांवों के विद्युतीकरण में हुए 1.31 करोड़ के घोटाले में विजिलेंस ने तीन तत्कालीन एसडीओ (उप खंड अधिकारियों) समेत छह के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। इनके खिलाफ विजिलेंस के लखनऊ सेक्टर थाने में आईपीसी व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है।

जिनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है, उनमें तत्कालीन एसडीओ देवेंद्र प्रसाद जोशी, अमजद अली और प्रमोद आनंद तत्कालीन तत्कालीन जेई बैजनाथ सिंह, नरेश सिंह और कार्यदायी संस्था मेसर्स रिलायंस एनर्जी लिमिटेड के सीनियर मैनेजर प्रोजेक्ट अशोक कुमार शामिल हैं। विजिलेंस की प्राथमिकी के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2005-06 में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत हरदोई के गांवों में कराए गए विद्युतीकरण में के लिए आरोपी कंपनी की ओर से की गई आपूर्ति में 466 8.5 मीटर घोटाले का आरोप है।

विजिलेंस की जांच में पाया गया था कि 85 गांवों वाले पीसीसी पोल कम मिले थे। फिर भी इसका 32.49 लाख से अधिक का भुगतान कर दिया गया। ऐसे ही 9 मीटर वाले 35 पीसीसी पोल कम मिले थे, इसका भुगतान 10.35 लाख करने की पुष्टि हुई थी। एलटी लाइन के लिए भी कम पोल की आपूर्ति करके अधिक भुगतान और कई अन्य प्रकार की अनियमितताओं की पुष्टि हुई थी।

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