
हापुड़। दिल्ली रोड बिजलीघर के अवर अभियंता के निलंबन से अधिकारियों की करतूत अब सामने आ रही है। अवर अभियंता ने राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर संगठन को साक्ष्य देकर आरोप लगाया है कि अधीक्षण अभियंता कार्यालय में दोनों उपखंड अधिकारी ने दबाव बनाकर संशोधित एस्टीमेट बनवाया ताकि अधिशासी अभियंता की आईडी से हुआ फर्जीवाड़ा अनदेखा किया जा सके ।
संगठन ने अधिशासी अभियंता के निलंबन की मांग के लिए 24 तारीख को हड़ताल रखकर अधीक्षण अभियंता कार्यालय पर धंधा देने की चेतावनी दी। बताते चले की चमड़ी निवासी महिला उपभोक्ता का कनेक्शन निगम अफसर के गले की फांस बन गया है। काफी इंतजार के बाद महिला ने आत्मदाह करने की चेतावनी दी तब जाकर शासन ने इस मामले को संज्ञान भी लिया।
निलंबित हुए अवर अभियंता सुधीर कुमार ने आरोप लगाया है कि उसने निरीक्षण कर 66401.00 का एस्टीमेट बनाया था, उखाड़ अधिकारी प्रथम ने अपनी इआरपी आईडी से इसे स्वीकृत करते हुए अधिशासी अभियंता हापुड़ को अग्रसारित किया। लेकिन अधिशासी अभियंता की इआरपी से जानबूझकर एस्टीमेट में हेरा फेरी करते हुए ऑफलाइन ही उसे 29178 रुपए का कर दिया। उन्हीं के कार्यालय से 29778 की टीसी अपलोड की गई।
महिला का वीडियो वायरल होने पर अधिकारियों ने अपना बचाव शुरू कर दिया। जेई संगठन ने बताया कि 16 जनवरी की शाम अधीक्षण अभियंता कार्यालय में अवर अभियंता सुधीर कुमार को बुलाया गया दोनों उपखंड अधिकारी की मौजूदगी में दबाव बनाकर संशोधन एस्टीमेट बनवाया गया साथ ही बैक डेट में पत्र तैयार कर कर जांच टीम भी गठित की गई और हाथों-हाथ रिपोर्ट ले लिए।
इस मामले में जेई संगठन के जिला सचिव ईश्वर प्रसाद ने अधीक्षण अभियंता को ज्ञापन सौंप कर अधिशासी अभियंता को निलंबित करने और अवर अभियंता को बहाल करने की मांग उठाई। ऐसा न करने की सूरत में कल यानी की 24 जनवरी को और अभियंताओं ने हड़ताल कर अधीक्षण अभियंता कार्यालय पर धरना देने की चेतावनी दी है।
जबकि इस बारे में अधीक्षण अभियंता यू के सिंह का कहना है कि पूरे प्रकरण की जांच कराई गई है, जिसमें अवर अभियंता की गलती सामने आई है। अवर अभियंता ने टीसी और एस्टीमेट के बीच की धनराशि में अंतर की कोई सूचना नहीं दी। निष्पक्ष कार्रवाई की गई है।
आखिर क्या है पूरा मामला
नगर के दिल्ला रोड स्थित मोहल्ला चमरी निवासी मंजू शर्मा ने दो किलोवाट के घरेलू कनेक्शन के लिए आवेदन किया था। उसका एस्टीमेट 60 हजार से अधिक बनाया गया। महिला ने आरोप लगाया था कि दस हजार रुपये देने पर एस्टीमेट 29178 रुपये का बना दिया गया। यह पैसा जमा भी कर दिया, इसके बाद फिर पैसे मांगे लेकिन नहीं देने पर 60 हजार वाला एस्टीमेट फिर से लागू करने की बात कही गई। इस मामले की जांच शुरू हुई, ऐसे में महिला को काफी दिनों तक कनेक्शन ही नहीं मिल सका। पीड़िता ने बिजलीघर में जाकर आत्मदाह करने की चेतावनी दी। जिस पर शासन ने संज्ञान लिया, एमडी कार्यालय से टीम जांच के लिए भेजी गई। दो एसडीओ की टीम ने पूरे प्रकरण की जांच की।
अवर अभियन्ता को किया निलंबित
अधीक्षण अभियंता यूके सिंह ने निलंबन आदेश में कहा कि मांग पत्र अपलोड होने और भुगतान किए जाने के मध्य 12 दिनों में संबंधित अवर अभियंता द्वारा मांग पत्र और प्रांकलन की धनराशि में अंतर होना संज्ञानित नहीं कराया गया, जिस कारण विवाद हुआ। इसी अनियमितता पर जेई सुधीर कुमार को निलंबित किया गया।
क्या कहना है अवर अभियंता का
इस मामले में अवर अभियंता सुधीर कुमार का कहना है कि उसने सिर्फ एक एस्टीमेट बनाया था जो करीब 60 हजार का था। डिवीजन कार्यालय से 29178 रुपये की टीसी अपलोड की गई। ऐसे में उसका क्या दोष है। आरोप निराधार हैं।