राम मंदिर मुद्दे पर 40 दिन चली सुनवाई आज हुई खत्म, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

नई दिल्ली: Ayodhya Verdict Today: सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक रूप से संवेदनशील अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की सुनवाई पूरी कर ली, फैसला नवंबर महीने में सुनाया जाएगा. CJI रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच जंजों की बेंच ने इस मामले में 40 दिन तक सुनवाई करने के बाद दलीलें पूरी कर लीं. बेंच ने अयोध्या भूमि विवाद मामले में संबंधित पक्षों को ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ’ (राहत में बदलाव) के मुद्दे पर लिखित दलील दाखिल करने के लिये तीन दिन का समय दिया. इस पीठ में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर भी शामिल हैं. आज सुबह सुनवाई शुरू होने पर बेंच ने कह दिया था कि वह पिछले 39 दिनों से अयोध्या भूमि विवाद मामले में सुनवाई कर रही है और मामले में सुनवाई पूरी करने के लिए किसी भी पक्षकार को आज (बुधवार) के बाद अब और समय नहीं दिया जाएगा. कोर्ट ने पहले कहा था कि सुनवाई 17 अक्टूबर को पूरी हो जाएगी. बाद में इस समय सीमा को एक दिन पहले कर दिया गया.

CJI का कार्यकाल 17 नवंबर को समाप्त हो रहा है. उल्लेखनीय है कि बेंच ने अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि को तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला-के बीच बराबर-बराबर बांटने का आदेश देने संबंधी इलाहाबाद हाईकोर्ट के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर सुनवाई की है.

सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने हिन्दू महासभा के वकील विकास सिंह की ओर से पेश किए गए नक्शे को फाड़ दिया. इसके बाद सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि अगर कोर्ट का डेकोरम नहीं बनाया रखा गया तो हम कोर्ट से चले जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को एक हिन्दू पक्षकार की ओर से दलील दी गई कि सुन्नी वक्फ बोर्ड और अन्य मुस्लिम पक्षकार यह सिद्ध करने में विफल रहे हैं कि अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवादित स्थल पर मुगल बादशाह बाबर ने मस्जिद का निर्माण किया था.

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के सामने इस मामले की सुनवाई के 40वें दिन एक हिन्दू पक्षकार की ओर से वकील सी एस वैद्यनाथन ने कहा कि मुस्लिम पक्ष का यह दावा था कि विवाद की विषय वस्तु मस्जिद का निर्माण शासन की जमीन पर हुकूमत (बाबर) द्वारा किया गया था लेकिन वे इसे अभी तक सिद्ध नहीं कर पाये. वैद्यनाथन सुन्नी वक्फ बोर्ड और अन्य मुस्लिम व्यक्तियों द्वारा अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि पर मालिकाना हक के लिये 1961 में दायर मुकदमे का जवाब दे रहे थे.

उन्होंने कहा कि अगर मुस्लिम पक्ष प्रतिकूल कब्जे के सिद्धांत के तहत विवादित भूमि पर मालिकाना हक का दावा कर रहे हैं तो उन्हें यह स्वीकार करना होगा कि मूर्तियां या मंदिर पहले इसके असली मालिक थे. वैद्यनाथन ने कहा कि वे प्रतिकूल कब्जे के लाभ का दावा नहीं कर सकते. यदि वे ऐसा दावा करते हैं तो उन्हें पहले वाले मालिक, जो इस मामले में मंदिर या मूर्ति हैं, को बेदखल करना दर्शाना होगा. इस प्रकरण की सुनवाई कर रही संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं. वैद्यनाथन ने कहा कि अयोध्या में मुसलमानों के पास नमाज पढ़ने के लिये अनेक स्थान हो सकते हैं लेकिन हिन्दुओं के लिये तो भगवान राम का जन्म स्थान एक ही है जिसे बदला नहीं जा सकता. उन्होंने कहा कि मुस्लिम पक्ष की इस दलील में कोई दम नहीं है कि लंबे समय तक इसका उपयोग होने के आधार पर इस भूमि को ‘वक्फ’ को समर्पित कर दिया गया था क्योंकि इस संपत्ति पर उनका अकेले का कब्जा नहीं था.

मुस्लिम पक्षकारों की ओर से वकील राजीव धवन ने पूर्व आईपीएस अधिकारी किशोर कुणाल द्वारा अयोध्या पर लिखित एक पुस्तक का हवाला दिए जाने की कोशिश पर आपत्ति जताई और कहा कि इस तरह की कोशिशों की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. बेंच ने सिंह को अपनी बहस जारी रखने के लिये कहा और टिप्पणी की कि धवन जी हमने आपकी आपत्ति का संज्ञान ले लिया है. धवन ने भगवान राम के सही जन्मस्थल को दर्शाने वाले सचित्र नक्शे का हवाला देने पर आपत्ति की थी. धवन ने सुप्रीम कोर्ट की बेंच से जानना चाहा कि वह इसका क्या करें. बेंच ने कहा कि वह इसके टुकड़े कर सकते हैं. इसके बाद धवन ने अखिल भारतीय हिन्दू महासभा द्वारा उपलब्ध कराए गये इस नक्शे को कोर्ट के सामने में ही फाड़ दिया.

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  • रिपोर्ट- यूपीपीसीएल मीडिया डेस्क

    रिपोर्ट- यूपीपीसीएल मीडिया डेस्क

    हम सब जानते है कि मीडिया संविधान का चौथा स्तंभ के रूप में कार्य करती है। इसके साथ ही हमारा मानना है कि पत्रकार एक विपक्ष का का कार्य करती है। यूपीसीएल मीडिया नामक व्हाट्सप्प ग्रुप की शुरूवात ऊर्जा क्षेत्र के लिए समाचार संकलन का कार्य कर रहे कुछ पत्रकार, जिसमें प्रमुख रूप से अविजित आन्नद, वेद प्रकाश, रवि शर्मा व आकिब शामिल रहे, ने शक्ति भवन, लखनऊ परिसर में किया, उस समय किसी भी प्रकार को यह अंदाजा नहीं था, कि कुछ ही समय में यूपीसीएल मीडिया व्हाट्सप्प गु्रप विभाग में इतना लोक प्रिय हो जायेगा। यूपीसीएल मीडिया व्हाट्सप्प ग्रुप का विभाग में लोकप्रियता को देखते हुए आज यूपीसीएल मीडिया एक व्हाट्सप्प ग्रुप से एक कदम आगे वढ़ाते हुए समाचार क्षेत्र में भी कार्य करना प्रारम्भ किया। यूपीसीएल मीडिया ऊर्जा क्षेत्र में अपनी जिम्मेदारियों या कर्त्तव्यों को देखते हुए प्रिंट/वेब संस्करण के रूप में कार्य प्रारम्भ की है। यूपीसीएल मीडिया में हम यही करने की कोशिश कर रहे है और बिना आप सभी के सहयोग के यह संभव नहीं है। अतः मैं गुजारिश करूंगा कि बिजली उपभोक्ता एवं ऊर्जा क्षेत्र के अधिकारीयों के बीच बेहतर सामंजस्य के लिए हमारे साथ शामिल हो। आप सभी को मेरी शुभकामनाएँ !!

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