
लखनऊ के सरोजनी नगर क्षेत्र स्थित एक बिस्कुट फैक्ट्री में शनिवार को भीषण आग लग गई, जिसमें फैक्ट्री मालिक और एक कर्मचारी की मौत हो गई। लाखों का सामान जलकर खाक हो गया। शुरुआती जांच में शॉर्ट सर्किट को हादसे का कारण माना गया है। फैक्ट्री में सेफ्टी उपाय नहीं थे।
लखनऊ के सरोजनी नगर थाना क्षेत्र के गंगानगर में शनिवार को एक दर्दनाक हादसे ने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया। स्वीटी फूड्स नामक बिस्कुट और रस बनाने वाली फैक्ट्री में दोपहर करीब साढ़े चार बजे अचानक भीषण आग लग गई। देखते ही देखते आग ने विकराल रूप ले लिया और ऊंची-ऊंची लपटें आसमान में उठने लगीं। फैक्ट्री के भीतर काम कर रहे मजदूर जान बचाकर बाहर भागे, लेकिन फैक्ट्री के मालिक अखिलेश कुमार (47) और कर्मचारी अबरार (40) आग की लपटों में फंस गए। दमकल की दस से अधिक गाड़ियों और तीन घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया, लेकिन तब तक दोनों की मौत हो चुकी थी।
गंगानगर स्थित स्वीटी फूड्स फैक्ट्री में शनिवार दोपहर रोज़ की तरह उत्पादन कार्य चल रहा था। फैक्ट्री में करीब 10 मजदूर मौजूद थे। इसी दौरान अचानक एक जोरदार धमाके के साथ आग लग गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, फैक्ट्री की तीसरी मंजिल पर केमिकल से भरा एक टैंक रखा था, जो आग की चपेट में आकर फट गया। धमाका इतना जबरदस्त था कि आसपास की इमारतों में दहशत फैल गई।
पुलिस और फायर विभाग की शुरुआती जांच के अनुसार, आग लगने का कारण विद्युत शॉर्ट सर्किट था। फैक्ट्री में सुरक्षा मानकों की भारी अनदेखी पाई गई। फायर सेफ्टी से जुड़े किसी भी उपकरण का मौजूद न होना, इस भयावह आग को और भी खतरनाक बना गया। फैक्ट्री में ना तो फायर अलार्म सिस्टम था, ना ही अग्निशमन यंत्र।
घटना की सूचना मिलते ही सरोजनी नगर थाना पुलिस, एडीसीपी दक्षिणी अमित कुमावत, एसीपी कृष्णानगर विकास कुमार पाण्डेय और अन्य आला अधिकारी मौके पर पहुंचे। दमकल विभाग की करीब 10 गाड़ियां आलमबाग, पीजीआई, हजरतगंज और चौक फायर स्टेशनों से घटनास्थल पर पहुंचीं और तीन घंटे के संघर्ष के बाद आग पर काबू पाया। इसी बीच अमौसी रेलवे स्टेशन की ओर जाने वाली सड़क को भी यातायात के लिए बंद कर दिया गया था।
जब आग लगी, तब अखिलेश कुमार और उनका बेटा ऋतिक फैक्ट्री के बाहर बैठे थे। आग लगते ही अखिलेश और कर्मचारी अबरार आग बुझाने के इरादे से फैक्ट्री के भीतर चले गए, लेकिन लपटों ने उन्हें ऐसा घेरा कि दोनों बाहर नहीं निकल सके। दमकल कर्मियों ने जब आग बुझाई, तब दोनों के शव फैक्ट्री के भीतर जले हुए मिले। उन्हें अलग-अलग एम्बुलेंस से लोकबंधु अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
मृतक अखिलेश कुमार के परिवार में पत्नी पुष्पा, बेटी प्रियांशी और बेटा ऋतिक हैं। वहीं अबरार अपने परिवार के साथ फैक्ट्री परिसर में ही रहता था। उसके परिवार में पत्नी कलीमुल निशां, 4 साल का बेटा इमरान और 13 साल की बेटी जैनब है। दोनों परिवारों पर यह हादसा दुखों का पहाड़ बनकर टूटा।
जानकारी के अनुसार फैक्ट्री को अखिलेश कुमार ने करीब डेढ़ साल पहले कागजों में बंद घोषित कर रखा था, जबकि जमीनी हकीकत यह थी कि वहां लगातार उत्पादन चल रहा था। यह खुलासा प्रशासनिक लापरवाही और रिश्वतखोरी की ओर भी इशारा करता है, जिसे अब जांच में खंगाला जाएगा।
फायर विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि यदि फैक्ट्री में फायर सेफ्टी के मापदंडों का पालन हुआ होता, तो शायद यह बड़ा हादसा टल सकता था। स्थानीय निवासियों का भी कहना है कि फैक्ट्री में समय-समय पर निरीक्षण नहीं होता था और सुरक्षा के सभी मानक कागजों में ही पूरे किए जाते थे।
घटना के बाद पुलिस और जिला प्रशासन ने पूरे क्षेत्र का मुआयना किया। मामले में कई सवाल खड़े हो गए हैं? फैक्ट्री बिना लाइसेंस के कैसे चल रही थी? सुरक्षा मानकों की जांच क्यों नहीं हुई? दोषियों पर क्या कार्रवाई होगी?
एडीसीपी दक्षिणी अमित कुमावत ने मीडिया से बातचीत में कहा कि घटना की जांच के लिए एक विशेष टीम बनाई जा रही है जो यह पता लगाएगी कि किन कारणों से आग लगी और सुरक्षा में क्या-क्या चूक हुई। वहीं जिलाधिकारी ने भी मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।