
मध्यांचल विधुत वितरण निगम अन्तगर्त गोमती नगर जोन, लेसा अधीनस्थ सुगामऊ पावर हाउस, मुंशीपुलिया डिविजन क्षेत्र का है। इन्दिरा नगर स्थित चांदन निकट महावीर नगर का है, जहां स्थित एक गोल्ड भट्टा नाम से प्रसिद्व झुग्गी झोपड़ी सहित एक और झुग्गी झोपड़ी का है, जहां कई अलग- अलग नाम से बिना ऊर्जाकृत किये बिजली कनेक्शन कर इन सभी का मीटर ट्रासंफार्मर की सुरक्षा में लगे जाली में ठोक लगा दिया गया, सूत्रों की माने तो इसमें तीन ऐसे कनेक्शन है, जो बकाया पर दिये गये है, जिसमें से एक कनेक्शन का खुलासा इस समाचार के साथ कर रहे है। यदि प्रबन्ध निदेशक महोदय स्वतः अथवा किसी अन्य जोन के उच्च अधिकारीयों से मीटर ट्रासंफार्मर की सुरक्षा में लगे जाली में मीटर सहित अन्य बताये हुए स्थान पर जाकर जॉच करा ले, तो कई हैरानी व चौकाने वाला करोड़ो रूपये के राजस्व हानि सहित कई अन्य मामला प्रकाश में आ जायेगा, जिससे अंदाजा कभी बिजली निगम ने लगाया ही नहीं होगा।
उपरोक्त मामला मध्यांचल विद्युत वितरण निगम अंतर्गत गोमती नगर जोन अधीनस्थ मुंशी पुलिया डिविजन क्षेत्र के सुगामऊ पावर हाउस के स्वरचित विद्युत आपूर्ति संहिता अधिनियम के सूत्रधार तथाकथित ईमानदार, विभाग हित में सदैव कार्य करने वाले अवर अभियन्ता सौरभ कुशवाहा ने विभाग हित में कार्य करते हुए 150 मीटर से अधिक की दूरी पर बकाया होने के बाद भी उसी परिसर पर किसी अन्य को कनेक्शन दे दिया, यदि सूत्रों की माने तो उपरोक्त विभाग हित में कार्य करने के एवज में तीस हजार मात्र में ही अपना ईमान बेच दिया।
बताते चलें कि सुगमऊ पावर हाउस स्थित गोल्ड भट्ठा नामक झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले हाजिर उद्दीन नामक उपभोक्ता, जोकि प्रीपेड आवेदन पर दिनांक 27 सितम्बर 2022 को पोस्टपेड मीटर लगाकर 150 मीटर से अधिक की दूरी पर बिना अनुमति के, बिना स्टीमेट के बतीस हजार 4 किलोवाट का एकल बत्ती कनेक्शन, जिसका संयोजन संख्या 4171683528 है, दे दिया जाता है। हाजिरउद्दीन नामक उपभोक्ता ने 4 किलोवाट का संयोजन लेकर कर नियम विरूद्व सबमीटर के माध्यम से गोल्ड भट्ठा में ही अन्य झुग्गी झोपड़ी में दे दिया और यूनिट के आधार पर रूपया वसूलने लगा।
यदि हम प्रीपेड आवेदन पर प्रीपेड मीटर उपलब्ध न होने की दशा में पोस्टपेड मीटर लगाने की मजबूरी को यदि हम मान ले, तो प्रीपेड के स्थान पर पोस्टपेड मीटर लगाने के लिए अधिक्षण अभियन्ता की अनुमति जरूरी है… अनुमति मिलने पर पोस्टपेड मीटर इस शर्त पर लगाया जाता है कि प्रीपेड मीटर उपलब्ध होने पर पोस्टपेड मीटर को बदलकर प्रीपेड मीटर लगा दिया जायेगा। यदि हमारी रिपोर्ट इस विषय पर सही है, तो उपरोक्त लम्बी दूरी के संयोजन सम्बन्धित फाइल पर अधिक्षण अभियन्ता की अनुमति नहीं ली गई।
हाजिर उद्दीन नामक उपभोक्ता 4 किलोवाट का संयोजन से अभी तक सबमीटर के माध्यम से गोल्ड भट्ठा में ही अन्य झुग्गी झोपड़ी में दे दिया। लगभग 2 सालो में हाजिरउद्दीन नामक उपभोक्ता का बिजली का बिल रूपया 213131.00 हो गया… आखिर कैसे यह अपने आप में बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह है। आखिर कैसे उक्त झुग्गी झोपड़ी बिना बिल जमा किये बिजली विभाग के कनेक्शन से गुलजार हो रही थी, किसकी मेहरबानी से चल रहा था बिना बिल जमा किये बिजली?
यदि हम पिछले 2 सालो का हाजिर उद्दीन नामक उपभोक्ता का बिजली का बिल जो कि वर्तमान समय में रूपया 213131.00 है, माह में तब्दील करे, तो रूपया प्रतिमाह 8880.00 मात्र होती है, रूपया 500.00 वकाया होने पर डिस्कन्नेशन कर दी जाती है, तो उपरोक्त उपभोक्ता की बिजली कयों नहीं गुल हुई?
लाखों का बिल होता देख चर्चित, ईमानदार व विभाग हित में सदैव कार्य करने वाले अवर अभियन्ता सौरभ कुशवाहा ने उसी परिसर पर (जिस पर रूपया 213131.00 बकाया है) दुसरे व्यक्ति मोहम्मद नदीम को मात्र 60 हजार में उपभोक्ता बनाते हुए (हांलाकि अब मामला हाईलाइट होने पर अवर अभियन्ता सौरभ कुशवाहा के अनुरोध पर रूपये देने की बात से कर रहा है इंकार) दिनांक 11/10/2024 को एक प्रीपेड संयोजन, जिसमें पता 179 निकट – पालम, पैराडाइज, सुगामऊ, लखनऊ अंकित किया गया है, जिसका संयोजन संख्या 2645776760 है…. उपरोक्त पता की हेराफेरी, सिर्फ इसलिए कि मामला खुलासा होने पर पता ऑनलाइन क्रास चेक न हो सके।


इन सब के बीच सबसे अहम तथ्य यह है कि पूर्व में किया गया हाजिरउद्दीन नामक उपभोक्ता का संयोजन उपरान्त लगाया गया मीटर आज की तिथि में पहले दिन की तरह चल रहा है, सिर्फ उसके मीटर की आऊट गोइंग केबल काट कर नये संयोजन, जिसके उपभोक्ता मो0 नदीम है, के मीटर में लगा दिया जाता है।
देखिए अब दिलचस्प होगा कि लाखो रुपये बकाया होने पर, उसी पसिर पर नया फिर से दूसरा नाम व पता पर कन्नेशन जारी कर, जो विभाग हित में कार्य किया है, उसका ईनाम बिजली विभाग किस प्रकार देती है?
आखिर प्रीपेड कन्नेशन ही क्यों
दरअसल, महानगर में मौजूद स्लम व मुख्य मार्गो और चौराहों पर पड़ी झुग्गी झोपड़ियों के साथ सड़क किनारे खड़े खोखों में बड़े पैमाने पर चोरी की बिजली जलाई जा रही थी, जबकि यहां रहने वाले लोगों का कोई स्थाई पता व विशेष पहचान न होने की वजह से बिजली विभाग यहां न तो कनेक्शन ही दे पाता था और न ही चोरों पर कोई पुख्ता कार्रवाई कर पाती थी। इन बस्तियों में रहने वाले लोग सड़क किनारे लगे बिजली के खंभों पर कटिया डालकर बड़ी आसानी से बिजली चोरी को अंजाम देते थे और विभागीय अफसर कार्रवाई के नाम पर केवल कटिया उतारने भर की कार्रवाई कर पूरे मामले से इतिश्री कर लेते थे।
क्या वास्तव में मजबूर था विभाग
स्लम क्षेत्रों में बिजली कनेक्शन देने के पीछे विभाग का मत था कि अस्थाई जगहों पर स्थाई कनेक्शन नहीं दिए जा सकते। अक्सर देखने में आया है कि इस तरह के उपभोक्ता बिल न चुकाने की स्थिति में जहां विभाग के लिए राजस्व घाटे का कारण बनते थे वहीं अस्थाई निवास होने के चलते विभाग उन पर कोई कार्रवाई भी नहीं कर पाता। इसी के चलते विभाग की ओर से ऐसी जगहों पर कनेक्शन देने की सख्त मनाही थी।
प्रीपेड मीटर से कनेक्शन मुहैया कराना कितना आसान
विभाग की मानें तो प्रीपेड मीटर ने अधिकृत कनेक्शन मुहैया कराने के काम को आसान बना दिया है। विभाग की ओर से झुग्गी-झोपड़ियों में आसानी से कनेक्शन दिया जा सकता है। इस विधि से उपभोक्ता को जब और जितनी बिजली की आवश्यक्ता होगी उतना रिचार्ज कराने की आजादी है। इसके अलावा कनेक्शन कटने पर बिजली विभाग को बकाए के नाम पर कोई नुकसान नहीं उठाना पड़ता है।