अनुभवहीन बड़के बाबुओ हुए भारतीय सविधान से भी ऊपर तानाशाही से तबाह हुआ विभाग

!!वाह रे उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन!!
 
लखनऊ। एक तरफ प्रधान मंत्री और मुख्य मंत्री येन-केन-प्रकारेण चुनाव पूर्व विभिन्न दलो को जोड कर चुनाव जनता में एक संदेश देना चाहते है कि यह जनता के द्वारा चुनी गयी जनता के हित मे कार्य करने वाली जनता के प्रतिनिधित्व करने वाली उनकी ही सरकार है और एक तरफ उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन और उसकी सहयोगी कंपनियों मे अवैध रूप से तैनात भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी है, जो कि पूरी तरह से मनमानी मनमानी पर उतारू है।
 
इन बडका बाबूओ ने सारे नियम कानून ताक पर रख दिये है यह अनुभवहीन अधिकारी अपने आप को भारतीय सविधान से भी ऊपर समझने लगे है और ऐसे ऐसे आदेश करने लगे है कि जिससे आम जनमानस प्रभावित होने लगा है। पहले तो यह अपने चहेतो को नियम विरुद्ध पदोन्नत कर के किसी भी पद पर बैठा देते थे, एक बडका बाबू जी ने तो मस्टर रोल के जरिए नौकरी मे आए एक कर्मचारी को ओ0एस0डी0 बना दिया था, तो वर्तमान मे बैठे बडकऊ ने तो खुलेआम सुपरसोनिक भ्रष्टाचारी अधिकारियो को भी संरक्षण दे रखा है, शक्तिभवन मुख्यालय से शिकायत की पूरी की पूरी पत्रावली ही कार्यालय से गायब हो जाती है और इनको कुछ पता ही नही विधान परिषद मे गलत जवाब दे कर सरकार की किरकिरी कराने वाले कुम्भ घोटाले के दोषी, 14 लाख की मेज बनवाने वाले चर्चित भ्रष्टाचारी सुपरसोनिक अभियन्ता वेद प्रकाश कौशल, जो कि मात्र 24 मिनट मे प्रयागराज से लखनऊ पहुंचता है, को नियम विरुद्ध पदोन्नत दे कर अधीक्षण अभियन्ता बनाए दिया जाता है ..
 
अब उपभोक्ताओ की विद्युत चोरी के प्रकरण मे अन्तिम राजस्व निर्धारण में संशोधन किये जाने के सम्बंध मे एक नया आदेश 30/12/2023 को प्रबन्ध निदेशक पावर कार्पोरेशन द्वारा जारी किया जाता है आदेश मे दो लाख से ऊपर के चोरी के प्रकरण मे तीन दिन के अन्दर अधिशासी अभियन्ता द्वारा तीन दिनो के अन्दर प्रोविजनल निर्धारण का बिल जारी किया जाने व दो लाख से ऊपर के चोरी के प्रकरण मे निदेशक वित्त व प्रबन्ध निदेशक से अनुमोदन करने का आदेश है इससे पूर्व अध्यक्ष पावर कार्पोरेशन ने 21/8/2017 को एक एक आदेश जारी किया था जिसमे भी विद्युत चोरी के मामले मे अपने से एक पद ऊपर के यानि अधिक्षण अभियन्ता से अनुमोदन लेने की बात कही गयी थी अब इन दोनो मे बडा कौन अध्यक्ष पावर कार्पोरेशन या प्रबन्धनिदेशक पावर कार्पोरेशन या फिर विद्युत अधिनियम2003 के दिशानिर्देश पर बनी उत्तर प्रदेश विद्युत प्रदाय सहिता 2005 या यह अनुभवहीन बडकऊ ????? जब कि राजस्व निर्धारण की शक्ति अधीशासी अभियन्ता के पास होती है और बडका बाबू इन शक्तियो को भी छिनने लगे है।
 
वही दूसरी तरफ सुबह से शाम यह बडका बाबू उच्च अधिकारियो से विडियो कॉन्फ्रेंसिंग करते रहते है जिसकी तैयारी करने मे और अन्य डेटा इक्ट्ठा इन्ही अधिशासी अभियन्ता स्तर से ही होता है कोई त्योहार हो छुट्टी का दिन हो या दूसरा शनिवार रविवार हो या कोई भी पर्व विभागीय अभियन्ता रातो दिन मशीन की भाँति डेटा जमा करने मे जुटे रहते है। अब फिर से नया आदेश कि 8/ 3/2024 को महाशिवरात्री है उस दिन भी इन बडका बाबुओ ने एक मीटिंग रख दी है, जिसमे RDSS योजना के अंतर्गत लाइन हानि में कमी की प्रगति – प्राथमिकता सूची परिसमाप्त क्षति शुल्क का समायोजन बिजनेस प्लान, अतिरिक्त बिजनेस प्लान , 20 करोड रूपये हर जिले को दिए जाने, नगर निगम हेतु अनुमोदित कार्या , नगर निकाय हेतु अनुमोदित कार्यो से ले कर 45 बिन्दुओ पर चर्चा किया जाना प्रतावित है सनातियो के सबसे बडे पर्व की छुट्टी के दिन ही यह बस करना होता है तो फिर यह रोज रोज की विडियो कॉन्फ्रेंसिंग किस लिए की जाती है जिसकी वजह से सभी को तैयारी करने मे व्यस्त रहना पडता है विभागीय कार्य बाधित होते है जिसका कि ताजा तरीन उदाहरण है कि लखनऊ के एक विधायक ने जन हित मे 33 केवीए की एक लाईन जो कि कम ऊचाई से शहरी क्षेत्र जा रही थी, उसको भूमिगत करने का आग्रह प्रबन्ध निदेशक मध्यांचल विद्युत वितरण निगम से 3/9/2023 को अपने पत्र के माध्यम से किया परन्तु आज तक वो कार्य नही हुआ जब इस सम्बंध मे जानकारी ली गयी तो पता चला कि विभागीय कार्यो कि अधिकता के कारण मामला अटका हुआ है जब एक सत्ताधारी पक्ष के विधायक के अनुरोध पत्र का यह हाल है कि महीनो बीत जाने के बाद भी कोई कार्यवाही नही होती है तो फिर पाठक खुद समझ सकते है कि समान्य उपभोक्ताओ के कार्यो की दशा क्या होगी जब राजधानी लखनऊ के यह हाल है तो प्रदेश के दूर-दराज इलाको के बारे मे बोलना ही गलत है और यह बडका बाबूजी लोग छुट्टी के दिन कॉर्पोरेशन मे बैठके कर के अपने गाल खुद ही बजा रहे है माननीय मुख्यमंत्री व ऊर्जा मंत्री की नजर मे यह दिखाना चाहते है कि देखिए हम कितनी मेहनत करते है लेकिन यह अभियन्ता ही नही काम सकर रहे है हम तो रोज बैठक कर के समीक्षा करते है लेकिन धरातल पर तो इनकी समीक्षा बैठको से आम उपभोक्ताओ को ही परेशानी होने लगी है जब भी अपनी कोई समस्या ले कर विभागीय अधिकारियो से मिलने एक उपभोक्ता जाता है तो साहब विडियो कॉन्फ्रेंसिंग मे व्यस्त है यह संदेश आता है । वैसे बडका बाबू विडिओ कान्फ्रेंसिंग मे मस्त है और उत्तर प्रदेश का बिजली उपभोक्ता इनकी विडियो कॉन्फ्रेंसिंग व उल्टे सीधे दिये गये आदेशो से त्रस्त है क्यो कि अधिकारी अनुभवहीन अवैध रूप से नियुक्त बडका बाबूओ के बे सिर पैर के आदेशो के अनुपलन कराने व डेटा इक्ट्ठा करने मे व्यस्त है क्या यही है जीरो टॉलरेंस की नीति का जिसमे आम उपभोक्ताओ परेशान होता है और भ्रष्टाचारी मौज करते है क्या इनकी अनुभवहीनता का खामियाजा सरकार को भुगतना ना पड जाए । खैर
 
युद्ध अभी शेष है
 
अविजित आनन्द संपादक समय का उपभोक्ता राष्ट्रीय हिन्दी साप्ताहिक समाचार पत्र लखनऊ
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