नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान से भी पिछड़ गया भारत, भुखमरी के मामले में 117 मुल्कों में 102वें स्थान पर पहुंचा

ग्लोबल हंगर इंडेक्स, यानी GHI स्कोर के मामले में देशों को 100-सूत्री ‘सीवियरिटी स्केल’ (गंभीरता पैमाना) पर परखा जाता है, जिसमें शून्य (कोई भुखमरी नहीं) को बेहतरीन स्कोर माना जाता है.

नई दिल्ली: जहां तक भुखमरी और कुपोषण का सवाल है, हिन्दुस्तान अपने कदरन छोटे पड़ोसी मुल्कों नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान से भी पिछड़ा हुआ है. मानवीय सहायता के उद्देश्य से काम करने वाली दो अंतरराष्ट्रीय गैर-मुनाफा संस्थाओं द्वारा जारी की गई 117 मुल्कों की इस सूची में भारत 102वें स्थान पर है.

ग्लोबल हंगर इंडेक्स, यानी GHI स्कोर के मामले में देशों को 100-सूत्री ‘सीवियरिटी स्केल’ (गंभीरता पैमाना) पर परखा जाता है, जिसमें शून्य (कोई भुखमरी नहीं) को बेहतरीन स्कोर माना जाता है, और 100 बदतरीन स्कोर होता है. रिपोर्ट के मुताबिक, 30.3 के स्कोर के साथ भारत भुखमरी के ऐसे स्तर से जूझ रहा है, जिसे गंभीर माना जाता है.

GHI में वर्ष 2014 में 55वें स्थान पर मौजूद रहा भारत 2019 में 102वें स्थान पर पहुंच गया है. हालांकि, सूची में दर्ज किए गए मुल्कों की तादाद हर साल घटती-बढ़ती रही है. वर्ष 2014 में भारत 76 मुल्कों की फेहरिस्त में 55वें पायदान पर था. वर्ष 2017 में बनी 119 मुल्कों की फेहरिस्त में उसे 100वां पायदान हासिल हुआ था, और वर्ष 2018 में वह 119 देशों की सूची में 103वें स्थान पर रहा था. इस साल की रिपोर्ट में 117 देशों के सैम्पलों का आकलन किया गया था, और भारत को 102वां स्थान मिला.

GHI पीयर-रिव्यूड वार्षिक रिपोर्ट है, जिसे आयरलैंड की कन्सर्न वर्ल्डवाइड तथा जर्मनी की वेल्थुंगरहिल्फे ने संयुक्त रूप से प्रकाशित किया है. इस साल की GHI रिपोर्ट में पाकिस्तान 94वें स्थान पर है, बांग्लादेश 88वें और नेपाल को सूची में 73वां स्थान हासिल हुआ है. रिपोर्ट को तैयार करने वालों के मुताबिक, इसे वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर भूख को मापने के लिए डिज़ाइन किया गया है.

GHI रिपोर्ट के अनुसार, “अपनी बड़ी आबादी की वजह से भारत के ग्लोबल हंगर इंडेक्स इंडीकेटर में आने वाली वैल्यू का असर क्षेत्र के इंडीकेटर वैल्यू पर काफी होता है… भारत का चाइल्ड वेस्टिंग रेट 20.8 फीसदी है, जो बेहद ऊंचा है – यह इस रिपोर्ट में शामिल किसी भी देश से ज़्यादा है…”

इस इंडेक्स को चार पैमानों पर आकलित किया गया है – कम पोषण, चाइल्ड वेस्टिंग (पांच साल से कम उम्र के बच्चे, जिनका वज़न उम्र के लिहाज़ से कम है), चाइल्ड स्टंटिंग (पांच साल से कम उम्र के बच्चे, जिनकी ऊंचाई उम्र के लिहाज़ से कम है) और पांच साल से कम आयु में शिशु मृत्यु दर.

GHI रिपोर्ट के अनुसार, “इंडीकेटरों के इस कॉम्बिनेशन से भुखमरी को मापने के कई फायदे हैं… GHI फॉर्मूले में शामिल किए गए इंडीकेटरों से कैलोरिक कमी तथा कुपोषण का भी पता चलता है… कम पोषण वाले इंडीकेटर से पूरी आबादी की पोषण स्थिति का अंदाज़ा मिलता है, जबकि बच्चों के लिए खासतौर पर शामिल किए गए इंडीकेटर आबादी के एक खास हिस्से में पोषण की स्थिति का बखान करते हैं…”

केरल के वित्तमंत्री थॉमस आइसैक ने ट्वीट किया, “2019 का ग्लोबल हंगर इंडेक्स आ चुका है… भारत और फिसलकर 102वें स्थान पर आ गया है… प्रधानमंत्री मोदी के सत्तारोहण के साथ ही यह गिरावट शुरू हो गई थी… वर्ष 2014 में भारत 55वें स्थान पर था, 2017 में यह फिसलकर 100वें स्थान पर आया, और नाइजर और सिएरा लियोन के स्तर पर पहुंच गया है… दुनियाभर के भूखों का बड़ा हिस्सा अब हिन्दुस्तान में ही रहता है…”

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने ट्वीट किया, “2019 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स के अनुसार, भारत 117 देशों में 102वें स्थान पर खिसक गया है… रिपोर्ट कहती है कि भारत में भूख का स्तर ‘गंभीर’ है, और अब भी बहुतों को लगता है कि ‘अच्छे दिन आएंगे’… सवाल है कि कब…? यह तब होगा, जब सभी लोग, घनिष्ठ मित्रों को छोड़कर, भूख से मर जाएंगे…?”

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  • रिपोर्ट- यूपीपीसीएल मीडिया डेस्क

    रिपोर्ट- यूपीपीसीएल मीडिया डेस्क

    हम सब जानते है कि मीडिया संविधान का चौथा स्तंभ के रूप में कार्य करती है। इसके साथ ही हमारा मानना है कि पत्रकार एक विपक्ष का का कार्य करती है। यूपीसीएल मीडिया नामक व्हाट्सप्प ग्रुप की शुरूवात ऊर्जा क्षेत्र के लिए समाचार संकलन का कार्य कर रहे कुछ पत्रकार, जिसमें प्रमुख रूप से अविजित आन्नद, वेद प्रकाश, रवि शर्मा व आकिब शामिल रहे, ने शक्ति भवन, लखनऊ परिसर में किया, उस समय किसी भी प्रकार को यह अंदाजा नहीं था, कि कुछ ही समय में यूपीसीएल मीडिया व्हाट्सप्प गु्रप विभाग में इतना लोक प्रिय हो जायेगा। यूपीसीएल मीडिया व्हाट्सप्प ग्रुप का विभाग में लोकप्रियता को देखते हुए आज यूपीसीएल मीडिया एक व्हाट्सप्प ग्रुप से एक कदम आगे वढ़ाते हुए समाचार क्षेत्र में भी कार्य करना प्रारम्भ किया। यूपीसीएल मीडिया ऊर्जा क्षेत्र में अपनी जिम्मेदारियों या कर्त्तव्यों को देखते हुए प्रिंट/वेब संस्करण के रूप में कार्य प्रारम्भ की है। यूपीसीएल मीडिया में हम यही करने की कोशिश कर रहे है और बिना आप सभी के सहयोग के यह संभव नहीं है। अतः मैं गुजारिश करूंगा कि बिजली उपभोक्ता एवं ऊर्जा क्षेत्र के अधिकारीयों के बीच बेहतर सामंजस्य के लिए हमारे साथ शामिल हो। आप सभी को मेरी शुभकामनाएँ !!

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