पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का हैरतअंगेज कारनामा— मीटर नहीं, फिर भी बिल जारी!
दूसरे गांव का मीटर, भुगत रहा निर्दोष उपभोक्ता — भदोही में विभाग की बड़ी करामात उजागर- विभाग ने शिकायत पर भी नहीं ली सुध
भदोही। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम (PVVNL) की लापरवाही अब ठगी और भ्रष्टाचार की हदें पार करती दिख रही है। संत रविदास नगर भदोही के उपभोक्ता रामलाल के साथ जो हुआ, वह न केवल चौंकाने वाला है बल्कि पूरे सिस्टम पर सवाल खड़ा करता है।

रामलाल ने बताया कि उनके घर पर कभी मीटर लगा ही नहीं था, फिर भी हर महीने ₹200–₹300 का अनुमानित बिल वसूला जा रहा था। अप्रैल माह में अचानक उनके नाम पर किसी दूसरे गांव में स्मार्ट मीटर फीड कर दिया गया, और उनके अकाउंट से ₹8,157 रुपए काट लिए गए!

शिकायत के बाद पता चला कि मीटर कहीं और लगा है, लेकिन बिल रामलाल के नाम से बनाया जा रहा है। थोड़े ही दिनों में विभाग ने एक और झटका दिया — ₹30,000 का फर्जी बिल भेज दिया। उपभोक्ता जब लगातार कार्यालय के चक्कर लगाने लगे तो दो महीने बाद जाकर एक साधारण मीटर लगाया गया, लेकिन उसे “पोस्ट” करने के नाम पर विभाग आज भी टालमटोल कर रहा है।

लाइनमैन के साथ हुई तेज़ीभरी बातचीत में यह भी खुलासा हुआ कि
“साहब, आपके नाम पर मीटर किसी और के घर पर लगा है, सिस्टम में गलती है।”
विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि अब सामान्य मीटर नहीं, केवल स्मार्ट मीटर ही लगाया जाएगा, जबकि गांव में आज तक किसी और के यहां स्मार्ट मीटर नहीं लगा है — अरविंद का घर पहला “प्रयोग स्थल” बना दिया गया है।
शिकायत का सबूत भी विभाग की फाइलों में दबा
इस पूरे मामले में अरविंद ने 1 अगस्त 2025 को अधिशासी अभियंता (विद्युत) को लिखित शिकायत दी थी, जिसकी कॉपी अब यूपीपीसीएल मीडिया के पास है।
पत्र में उपभोक्ता ने लिखा —
“हमारे नाम पर स्मार्ट मीटर फीड कर दिया गया है जबकि मीटर कभी लगा ही नहीं। गलत फीडिंग के कारण बिजली बिल ₹30,000 से ऊपर आ गया है। कृपया तत्काल सही मीटर लगवाने की कृपा करें।”
पत्र पर संबंधित टेस्ट चार्जर और विभागीय कर्मचारी की टिप्पणियाँ भी दर्ज हैं, जिनसे यह स्पष्ट है कि विभाग गलती जानने के बावजूद कार्रवाई से बच रहा है।
‘स्मार्ट मीटर’ योजना या स्मार्ट ठगी?
गांव में आज तक किसी उपभोक्ता के घर स्मार्ट मीटर नहीं लगा, लेकिन विभाग ने अरविंद को “टेस्ट केस” बनाकर प्रयोगशाला बना डाला। अब विभाग का कहना है कि “सामान्य मीटर पोस्ट नहीं होगा, केवल स्मार्ट मीटर ही लगेगा।”
उधर, उपभोक्ता पर ₹40,000 का बिल बकाया दिखाकर वसूली का दबाव बनाया जा रहा है।
यूपीपीसीएल मीडिया के सवाल
अब सवाल यह है कि —
⚡ क्या यह ‘सिस्टम एरर’ है या सुनियोजित घोटाला? बिना मीटर के बिल कैसे जारी हुआ?
⚡ बिना मीटर लगाए उपभोक्ता के खाते से वसूली कैसे हो गई?
⚡ गलत गांव में मीटर लगाकर किसकी मिलीभगत से उपभोक्ता से वसूली हो रही है?-
⚡ जब शिकायत का लिखित प्रमाण मौजूद है तो कार्रवाई अब तक क्यों नहीं?
👉 स्मार्ट मीटर लगाने के नाम पर आखिर कब तक उपभोक्ताओं को ठगा जाएगा?
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का यह “स्मार्ट” कारनामा अब जांच की माँग कर रहा है — ताकि आम उपभोक्ता का हक़, विभागीय भ्रष्टाचार की भेंट न चढ़े।








