
लखनऊ। यदि पावर कॉर्पोरेशन के इंजीनियर एक जुट होकर वर्चुअल कॉन्फ्रेंस में समय व्यतीत किये बिना सिर्फ 15 का विशेष अभियान लाकर 50 प्रतिशत भी वसूली कर लेता है, तो दशार्या जा रहा है घाटा का 50 प्रतिशत की कमी आ जायेगी, जिससे निजीकरण की तरफ बढ़ते कदम को कुछ समय की मांग करते हुए रोका जा सकता है।
यदि उसके उपरान्त शेष बचा की वसूली कर ले, तो जल्द ही पावर कारपोरेशन का घाटा 1 लाख 10 हजार करोड़ रुपए को पीछा कर मार्च 2024.25 तक 5825 करोड़ रुपए के फायदे में आ जाएगा।
बताते चले कि अभी पावर कारपोरेशन में सबसे ज्यादा बकाया पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड पर है जहां करीब 40 हजार 962 करोड़ रुपए का बकाया है। उसके बाद दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड पर 24947 करोड़ रुपए, मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड पर 30031 करोड़ रुपए, पश्चिमाचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड पर 16017 करोड़ रुपए एवं केस्को पर 3866 करोड़ रुपए का बकाया है।