उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग की लापरवाही प्रकाश में आई है। जहां गाजियाबाद के एक शख्स के दो कमरे के मकान का बिजली बिल 11 लाख रुपये का भेज दिया था। पीड़ित ने इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पश्चिमांचल विद्युत वितरण खंड गाजियाबाद के अधिशासी अभियंता द्वारा उपभोक्ता को प्रेषित वसूली नोटिस के मामले जवाब तलब किया है। दरअसल, बिजली विभाग ने गाजियाबाद के मुकेश कुमार यादव को बिजली बिल के एवज में 11 लाख 14 हजार 344 रुपये का वसूली नोटिस जारी किया था। जिस पर पीड़ित ने अदालत से हस्तक्षेप की गुहार लगायी थी। याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति वी के बिड़ला तथा न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने की।
जानकारी के मुताबिक मामला गाजियाबाद के खोड़ा गांव का है। जहां बिजली विभाग ने याची के 2 कमरों के मकान में 16 सीलिंग फैन, 5 कूलर, 2 एयर कंडीशनर, 250 वाट के 5 एलईडी बल्ब ,दो बड़े फ्रीजर पर प्रतिमाह 10419 वाट बिजली खर्च दिखाते हुए 11 लाख 14 हजार 344 रुपये की वसूली नोटिस जारी कर दी गई थी। वहीं नोटिस मिलने के बाद मुकेश कुमार के पैरों तले जमीन खिसक गई। उन्हें इस बात की हैरानी हो रही थी कि भला दो कमरों के मकान का बिजली बिल इतना कैसे आ सकता है। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट का रुख अख्तियार किया और अदालत से हस्तेक्षेप की गुहार लगाई।
याची अधिवक्ता कमल सिंह यादव ने आपत्ति की। वहीं हाईकोर्ट ने बिजली विभाग के अधिवक्ता पर असंतोष जताते हुए कहा कि असेसमेंट किया या नहीं इसकी जानकारी नहीं दी गई है। इस पर बिजली विभाग के अधिवक्ता ने कोर्ट से समय मांगा। जिस पर अगली सुनवाई की तिथि 22 मार्च तय की गई है।