
अब आंदोलन करने वाले बिजली कर्मियों को बिना जांच के ही बर्खास्त किया जा सकेगा। नियुक्ति प्राधिकारी को बर्खास्तगी के साथ ही पद से हटाने, पदावनति करने का भी अधिकार दे दिया गया है। इसके लिए पावर कारपोरेशन की कार्मिक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली 2020 में संशोधन किया गया है।
निजीकरण के विरोध में पूर्वांचल व दक्षिणांचल के बिजली कर्मचारियों ने 29 मई से हड़ताल का ऐलान किया है, जिसके बाद से सरकार हड़ताली कर्मियों पर सख्ती की तैयारी में है. इसके लिए यूपी पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने निर्देश जारी किए हैं, जिसमें यदि कोई कर्मचारी बिजली आपूर्ति में बाधा डालता है या ऐसा करने की कोशिश करता है, तो उसे बिना किसी जांच के सीधे नौकरी से निकाला जा सकेगा।
पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल के निजीकरण प्रस्ताव को लेकर बिजली कर्मियों की ओर से विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। 29 मई से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार की चेतावनी दी गई है। ऐसे में पावर कार्पोरेशन निदेशक मंडल की बैठक में कार्मिक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली 2020 में संशोधन कर दिया गया है। अब इसे पावर कार्पोरेशन कार्मिक (अनुशासन एवं अपील) (पंचम संशोधन) विनियमावली 2025 नाम दिया गया है।यह नई व्यवस्था शुक्रवार को उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने लागू कर दी है. इसके तहत “कार्मिक (पंचम संशोधन) विनियमावली-2025” में बदलाव करते हुए बिजली आपूर्ति में बाधा डालने को गंभीर अनुशासनहीनता माना गया है।
जांच में लगता है वक्त, हाईकोर्ट के आदेश का भी हवाला
संशोधित विनियमावली में तर्क दिया गया है कि विद्युत व्यवस्था संचालन में बाधा पहुचाने, तोड़फोड़ अथवा आपूर्ति बाधित होने की स्थिति में जांच के दौरान काफी वक्त बीत जाता है। ऐसे में आरोपियों पर कार्रवाई नहीं हो पाती है। यह भी तर्क दिया गया है कि दिसंबर 2022 में हुई हड़ताल एवं कार्य बहिष्कार के संबंध में हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि बिजली आपूर्ति बाधित होने पर ऊर्जा विभाग सख्त कार्रवाई कर सकता है। इसी तरह आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम (एस्मा) लागू होने के बाद भी हड़ताल पर जाने अथवा हड़ताल की स्थिति उत्पन्न करने, आधारभूत ढांचा प्रभावित करने, विद्युत संयंत्र को क्षति पहुचाने, अन्य कर्मियों को इसके लिए प्रेरित करने की स्थिति हो तो नियुक्ति प्राधिकारी संबंधित कार्मिक के खिलाफ फैसला ले सकता है। ऐसे में यदि कार्मिक (अनुशासन एवं अपील) विनियमावली 2025 के नियम सात के तहत जांच करना संभव नहीं है तथा विद्युत आपूर्ति में व्यवधान की आशंका है तो वह संबंधित कार्मिकों को नियुक्ति प्राधिकारी बर्खास्त कर सकता है, सेवा समाप्त कर सकता है और पदावनति कर सकता है।
नियुक्ति प्राधिकारी के अलावा उससे वरिष्ठ अफसर भी कर सकेंगे कार्रवाई
संशोधन में यह भी प्रावधान है कि बर्खास्तगी व अन्य कार्रवाई नियुक्ति प्राधिकारी के अलावा उससे वरिष्ठ अधिकारी द्वारा भी की जा सकेगा। बशर्ते नियुक्ति प्राधिकारी प्रबंध निदेशक स्तर का होना चाहिए। इससे स्पष्ट है कि अब पावर कार्पोरेशन के अध्यक्ष, प्रबंध निदेशक और विभिन्न विद्युत वितरण निगमों के प्रबंध निदेशक भी बिजली कर्मियों को बर्खास्तगी सहित अन्य कार्रवाई कर सकेंगे।
सीधे नौकरी जाएगी
इस संशोधन के तहत यदि किसी कर्मचारी की वजह से बिजली आपूर्ति बाधित होती है और तत्काल जांच संभव नहीं होती, तो उसे सीधे सेवा से हटाया जा सकेगा. यही नहीं, उस कर्मचारी को भविष्य में किसी भी सरकारी सेवा में नौकरी नहीं दी जाएगी. इसके साथ ही दोषी पाए गए कर्मचारियों के लिए पदावनति यानी डिमोशन का भी प्रावधान रखा गया है।
इसलिए उठाया कदम
यह सख्त कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने 29 मई से कार्य बहिष्कार की चेतावनी दी है. यह आंदोलन पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के प्रस्तावित निजीकरण के विरोध में किया जा रहा है. कर्मचारी संगठनों का कहना है कि निजीकरण से उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ेगा और कर्मचारियों की नौकरी असुरक्षित हो जाएगी।
संशोधन अलोकतांत्रिक
संघर्ष समिति के नेताओं ने सरकार के इस संशोधन को अलोकतांत्रिक बताते हुए इसकी कड़ी आलोचना की है. उनका कहना है कि सरकार दबाव की नीति अपनाकर आंदोलन को कुचलना चाहती है. वहीं, पावर कॉरपोरेशन का कहना है कि राज्य में 24 घंटे निर्बाध बिजली सेवा देने के लिए यह कदम जरूरी था।
कर्मचारी कर रहे हैं निजीकरण का विरोध
उत्तर प्रदेश में बीते कुछ वर्षों से विद्युत विभाग का निजीकरण लगातार चर्चा में रहा है. सरकार इसे उपभोक्ताओं के हित में बता रही है, जबकि कर्मचारी संगठन इसे अपने अधिकारों पर हमला मानते हैं. इससे पहले भी वर्ष 2020 में निजीकरण के विरोध में राज्य भर में कर्मचारियों ने हड़ताल की थी, जिससे कई जिलों में बिजली व्यवस्था चरमरा गई थी. ऐसे में अब पावर कॉरपोरेशन द्वारा नियमों में बदलाव को सरकार की ओर से सख्त संदेश माना जा रहा है कि किसी भी कीमत पर बिजली सेवा बाधित नहीं होने दी जाएगी।
बिजली कर्मियों पर नौकरी का संकट
संक्षेप में, बिजली कर्मचारियों के लिए अब गलती की कोई गुंजाइश नहीं बची है. अगर काम में लापरवाही बरती या बिजली बाधित की तो नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है।