
आर्थिक लाभ न प्राप्त होने के कारण अवर अभियंता रमेश कुमार द्वारा उपरोक्त आवेदन को मल्टीस्टोरी का दर्जा देते हुए एवं पॉच हजार एरिया बताते हुए एक स्टीमेट Rs. TS 642504.00 बना दिया जाता है, ऐसा एक बार नहीं हुआ, बार बार हुआ है, जबकि नियमानुसार उपरोक्त संयोजन मल्टी स्टोरी के श्रेणी में नहीं आता है, इस बात की पुष्टि हम नहीं बल्कि विद्युत आपूर्ति संहिता के 11 वॉ संशोधन कर रही है, जो कि 17 जनवरी 2018 को हुआ था, इस संशोधन के अनुसार बेसमेंट एवं उसके ऊपर बने तीन फ्लोर मल्टीस्टोरी के श्रेणी में नहीं आता है, इस बात की पुष्टि हेतु स्वयं मुख्य अभियंता लेसा, मध्यांचल में तैनात वर्तमान एक निदेशक एवं प्रबंध निदेशक जैसे पदों से सेवानिवृत्त एक अधिकारी से परिसर के सभी तलों के फोटो भेज कर की, किसी अधिकारी ने मल्टी स्टोरी का दर्जा नहीं दिया, लेकिन अवर अभियन्ता रमेश सिंह के लिए विभाग ने अलग से नियमावली बना रखी है, जिसमें उपरोक्त संयोजन मल्टी स्टोरी के श्रेणी में आता है।
लखनऊ। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, लखनऊ अंतर्गत सेक्टर 14 ओल्ड पावर हाउस में तैनात अवर अभियंता रमेश कुमार के कार्य प्रणाली से क्षेत्र उपभोक्ताओं के बीच रोष व्याप्त है, जिससे न सिर्फ विभाग की छवि धूमिल हो रही है, बल्कि राजस्व की भी हानि हो रही है।
हैरानी की बात यह है इसकी शिकायत विभागीय स्तर पर होने के बाद भी ना जाने किस कारण स्थानीय अधीक्षण अभियंता के कूड़ेदान में चली जाती है, यदि संबंधित विभाग ज्यादा नहीं सिर्फ 2 साल के दौरान अवर अभियंता रमेश कुमार के संदर्भ में विभागीय कार्रवाई हेतु प्रेषित पत्र के बारे में जांच कर ले, तो विभागीय अधिकारियों को चुल्लू भर पानी नहीं मिलेगा कि डूब कर मर जाए।
नियमानुसार यह परिसर मल्टी स्टोरी श्रेणी में नहीं आता, लेकिन अवर अभियन्ता रमेश सिंह के लिए मध्यांचल विभाग ने अलग से नियमावली बना रखी है, जिसके तहत यह परिसर मल्टी स्टोरी के श्रेणी में आता है।
ताजा मामला सुगामऊ क्षेत्र का है, जहॉ पर एक उपभोक्ता, जो कि पेशे से डॉक्टर है, ने अपने क्लीनिक के ऊपर रहने हेतु आवास बनाया है, हेतु अपनी पत्नी के नाम से 5 किलोवाट विधुत संयोजन हेतु लिए आवेदन किया था। उपरोक्त आवेदन बेसमेंट जिसका 1/3 भाग नीचे है, के ऊपर तीसरे फ्लोर पर बने परिसर हेतु किया था। वर्तमान समय में बेसमेंट सहित दो फ्लोर पर व्यवसायिक संयोजन 7 किलो वाट का स्थापित है।
आर्थिक लाभ न प्राप्त होने के कारण अवर अभियंता रमेश कुमार द्वारा उपरोक्त आवेदन को मल्टीस्टोरी का दर्जा देते हुए एवं पॉच हजार एरिया बताते हुए एक स्टीमेट Rs. TS 642504.00 बना दिया जाता है, ऐसा एक बार नहीं हुआ, बार बार हुआ है, जबकि नियमानुसार उपरोक्त संयोजन मल्टी स्टोरी के श्रेणी में नहीं आता है, इस बात की पुष्टि हम नहीं बल्कि विद्युत आपूर्ति संहिता के 11 वॉ संशोधन कर रही है, जो कि 17 जनवरी 2018 को हुआ था, इस संशोधन के अनुसार बेसमेंट एवं उसके ऊपर बने तीन फ्लोर मल्टीस्टोरी के श्रेणी में नहीं आता है, इस बात की पुष्टि हेतु स्वयं मुख्य अभियंता लेसा, मध्यांचल में तैनात वर्तमान एक निदेशक एवं प्रबंध निदेशक जैसे पदों से सेवानिवृत्त एक अधिकारी से परिसर के सभी तलों के फोटो भेज कर की, किसी अधिकारी ने मल्टी स्टोरी का दर्जा नहीं दिया, लेकिन अवर अभियन्ता रमेश सिंह के लिए विभाग ने अलग से नियमावली बना रखी है, जिसमें उपरोक्त संयोजन मल्टी स्टोरी के श्रेणी में आता है।
कनेक्शन पर पैसा ना मिलने पर मल्टी स्टोरी के नाम पर अवर अभियंता द्वारा इंस्ट्रूमेंट अपलोड किया जाता है
यही नहीं, संबंधित पावर हाउस के उपखंड अधिकारी एवं अधिशासी अभियंता ने उपरोक्त कनेक्शन को नियमानुसार माना, लेकिन अवर अभियंता द्वारा आर्थिक सहयोग न मिलने के कारण मल्टीस्टोरी बताते हुए स्टीमेट Rs. TS 642504.00 बनाकर उपभोक्ता को सौंप दिया। इस बात की जानकारी अधिक्षण अभियन्ता को भी दिया गया, लेकिन वह सम्पूर्ण प्रकरण में खामोश है।
अवर अभियन्ता रमेश कुमार द्वारा नया स्टीमेट TS 642504.00 का उपलब्ध कराये जाने के पश्चात अब उपभोक्ता मान्नीय उच्च न्यायालय की शरण में जाने की तैयारी कर रहा है।
हैरानी की बात यह है अवर अभियंता रमेश कुमार के नजर में बेसमेंट एवं उसके ऊपर तीन फ्लोर बने भवन मल्टीस्टोरी के श्रेणी में आता है, लेकिन अवर अभियन्ता रमेश सिंह के लिए विभाग ने अलग से नियमावली के अनुसार 90 मीटर से अधिक दूरी का संयोजन, बिना विद्युत लाइन का संयोजन बिना स्टीमेट सहित अन्य प्रतिक्रिया कराए हुए दे देना नियम में आता है, जानकारी हेतु ऐसा ही एक मामला से अवगत करा रहा हूॅ, जहॉ एक उपभोक्ता श्रीमती मीना फातिमा ने झटपट पोर्टल पर 2 किलो वाट के अस्थाई संयोजन हेतु आवेदन (आवेदन संख्या 1010232323) किया था, जिस पर अवर अभियंता रमेश कुमार द्वारा आर्थिक लाभ प्राप्त कर अवैध रूप से परिसर पर 90 मीटर से अधिक दूरी के आवेदन को मीना विद्युत लाइन का निर्माण किए एवं टीएफआर व प्राक्कलन की धनराशि बिना जमा कराए अवैध रूप से संयोजन देते हुए एक मीटर (मीटर संख्या टी एस 62066 ए) भी लगा दी जाती है, जबकि इसी मामले में तत्कालीन अवर अभियंता अरुण कुमार द्वारा एक एस्टीमेट बनाया गया था।
जब अवर अभियन्ता खुद विभागीय बाबू बनते हुए उपभोक्ता को रुपया 100000 का जुर्माना राशि बताया, तब ……….
सेक्टर 14 ओल्ड पावर हाउस में तैनात अवर अभियंता रमेश कुमार के कार्य प्रणाली से क्षेत्र उपभोक्ताओं के बीच रोष व्याप्त है, जिससे न सिर्फ विभाग की छवि धूमिल हो रही है, बल्कि राजस्व की भी हानि हो रही है, हैरानी की बात यह है इसकी शिकायत विभागीय स्तर पर होने के बाद भी ना जाने किस लाभ के कारण स्थानीय अधीक्षण अभियंता के कूड़ेदान में चली जाती है, यदि संबंधित विभाग ज्यादा नहीं सिर्फ 2 साल के दौरान अवर अभियंता रमेश कुमार के संदर्भ में विभागीय कार्रवाई हेतु प्रेषित पत्र के बारे में जांच कर ले, तो विभागीय अधिकारियों को चुल्लू भर पानी नहीं मिलेगा कि डूब कर मर जाए।
ताजा मामला बसंत बिहार, तकरोही, इंदिरा नगर का है, जहां पर एक अस्थाई संयोजन (संयोजन संख्या 3638139879) जो कि किसी कारण नियमित में परिवर्तन नहीं हो पाया था, उपरोक्त संयोजन पर कोई बकाया राशि भी नहीं था, फिर भी परिसर पर निर्माण कार्य को दर्शाते हुए, (जिसकी पुष्टि भी नहीं हुई) न सिर्फ गाली गलौज किया, बल्कि खुद विभागीय बाबू बनते हुए उपभोक्ता को रुपया 100000 का जुर्माना राशि भी बता दी, इस पर परिजन विडियों बनाने की कोशिश की, तो परिसर पर स्थापित मीटर को ही उखाड़ लाए, जबकि उस परिसर में उसका परिवार रहता है, इस बात की जानकारी तब हुई, जब उपभोक्ता का परिवार कार्यालय में आकर सच्चाई से अवगत कराते हैं, मामले की जानकारी मिलने पर विभाग की किरकिरी होते देख आानन फानन में उपखंड अधिकारी ने पुनः उपरोक्त संयोजन को जुड़वा दिया।
ऐसा कई मामला है, जिसको जरूरत के अनुसार प्रमाण के साथ सार्वजनिक किया जायेगा। मघ्यांचल यदि विधुत वितरण निगम लिमिटेड यदि ईमानदारी पूवर्क जॉच करा ले, तो विभागीय जांच में सिद्ध हो जाएगा कि अवर अभियंता रमेश कुमार द्वारा ना सिर्फ विभाग को वित्तीय हानि पहुंचाई है, बल्कि कारपोरेशन के नियमों का उल्लंघन किया गया है, विभाग की छवि धूमिल होते देख अवर अभियंता रमेश कुमार को कई बार मौखिक एवं लिखित चेतावनी भी दिया जा चुका है लेकिन हालात में कोई परिवर्तन नहीं हुआ।