
बरेली। बिजली बिल न आने या फिर मनमानी रकम के गलत बिल आने पर उपभोक्ताओं को सीलिंग रसीद की खोजबीन करते हुए उपकेंद्र से लेकर टेस्ट डिवीजन के कार्यालयों की ओर दौड़ लगा रहे हैं। तब उन्हें कड़ी मशक्कत के बाद सीलिंग रसीद उपलब्ध हो पा रही है। इस दौरान कई उपभोक्ता विभाग की बकायेदारों की सूची में शामिल हो जाते हैं।
मीटर लगाने के बाद सीलिंग रसीद में देने में कर्मचारी मनमाना रवैया अपना रहे हैं। सीलिंग रसीद के अभाव में उपभोक्ता बिजली बिल के भुगतान और संशोधन के काम नहीं करा पा रहे। इससे न चाहते हुए भी उपभोक्ता बिजली निगम के बकायेदारों की श्रेणी में शामिल होते जा रहे हैं। निगम के अधिकारियों के अनुसार तय नियमों के तहत मीटर लगाने के बाद उपभोक्ता को तुरंत सीलिंग की कापी उपलब्ध कराने के निर्देश हैं।
सीलिंग से तात्पर्य है कि उपभोक्ता का लगाया गया मीटर विभाग के बिलिंग सिस्टम के साथ ही रिकार्ड में पंजीकृत हो चुका है। ताकि महीने की निर्धारित तिथि पर उपभोक्ता द्वारा खर्च की गई बिजली का बिल जेनरेट होने पर इसका रिकार्ड बिजली निगम के सिस्टम पर भी अपलोड हो।