मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस : दोषियों को आज सुनाई जाएगी सजा, TISS रिपोर्ट में सामने आए थे यौन शोषण के मामले

TISS की रिपोर्ट के आधार पर बाल संरक्षण इकाई ने मई 2018 में महिला पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. इस रिपोर्ट में बालिका गृह में बच्चियों के साथ यौन शोषण की बात सामने आई थी.

नई दिल्ली.बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में दिल्ली की साकेत कोर्ट (Saket Court) गुरुवार को अपना फैसला सुनाएगी. यह मामला शेल्टर होम​ (Muzaffarpur Shelter Home Case) में नाबालिग बच्चियों और युवतियों के यौन शोषण से जुड़ा हुआ है. बीते 1 अक्टूबर को सीबीआई (CBI) और मामले में अलग-अलग आरोपियों के वकीलों की अंतिम दलील देने की कार्रवाई पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

ब्रजेश ठाकुर सहित 21 पर आरोप
बता दें कि साकेत कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर सहित 21 लोगों के खिलाफ बलात्कार करने के लिए आपराधिक षडयंत्र (Criminal Conspiracy) रचने और यौन दुर्व्यवहार सहित विभिन्न गंभीर आरोप लगाए गए थे. सीबीआई ने इस मामले में मुख्य आरोपी बृजेश ठाकुर को बनाया है. सीबीआई का आरोप है कि जिस शेल्टर होम​​ में बच्चियों के साथ यौन शोषण हुआ है वह बृजेश ठाकुर का ही है.

बिहार से केस किया गया था ट्रांसफर
इसके अलावा शेल्टर होम के कर्मचारी और बिहार सरकार के समाज कल्याण अधिकारी भी मामले में आरोपी है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश के बाद 7 फरवरी को मामला बिहार से दिल्ली ट्रांसफर किया गया था और 23 फरवरी से ही मामले की साकेत कोर्ट में नियमित सुनवाई चल रही थी.

TISS की रिपोर्ट में सामने आया था मामला
बता दें कि यह मामला बिहार के शेल्टर होम में नाबालिग बच्चियों और युवतियों के यौन उत्पीड़न से जुड़ा हुआ है. दरअसल, पूरा मामला टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज यानी TISS की रिपोर्ट में सामने आया था.

21 आरोपितों पर दर्ज हुआ था केस
TISS की रिपोर्ट के आधार पर बाल संरक्षण इकाई ने मई 2018 में महिला पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. इस रिपोर्ट में बालिका गृह में बच्चियों के साथ यौन शोषण की बात सामने आई थी. मामले में ब्रजेश ठाकुर समेत 21 आऱोपितों पर मामला दर्ज किया गया था.

SC के आदेश से साकेत कोर्ट में सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 23 फरवरी से ही मामले की साकेत कोर्ट में नियमित सुनवाई चल रही थी. उसी समय सभी आरोपितों को कड़ी सुरक्षा के बीच दिल्ली लाया गया था.

10 साल तक की सजा का प्रावधान
सुप्रीम कोर्ट ने छह माह में ट्रायल पूरा करने का निर्देश दिया था. कानून के जानकारों के अनुसार इस तरह के अपराध में न्यूनतम 10 साल और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है.

  • रिपोर्ट- यूपीपीसीएल मीडिया डेस्क

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