Ayodhya Case: कोर्ट के फैसले से पहले मुस्लिम पक्ष ने दिलाई SC को संवैधानिक मूल्यों की याद

मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट से कहा कि हमें उम्मीद है कि सर्वोच्च न्यायालय जो भी फैसला करेगा वह संवैधानिक मूल्यों के तहत ही होगा. और हमारा संविधान कई धर्म और कई संस्कृति को एक साथ रहने का अधिकार देता है.

नई दिल्ली: अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का दौर पूरा हो चुका है. अब सभी पक्ष को इस मामले में फैसले का इंतजार है. फैसले से पहले मुस्लिम याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को याद दिलाया कि उनका फैसला किस तरह से एक नया इतिहास बना सकता है और किस तरह से इसका असर आने वाली पीढ़ियों पर पड़ सकता है. इतना ही नहीं मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट से कहा कि हमें उम्मीद है कि सर्वोच्च न्यायालय जो भी फैसला करेगा वह संवैधानिक मूल्यों के तहत ही होगा. और हमारा संविधान कई धर्म और कई संस्कृति को एक साथ रहने का अधिकार देता है.

गौरतलब है कि अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में फैसला सुरक्षित होने के साथ ही अयोध्या (Ayodhya) में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अयोध्या (Ayodhya) राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद ज़मीन विवाद पर सुनवाई पूरी कर ली थी. लगातार चालीस दिन तक चली देश के इतिहास की दूसरी सबसे लंबी सुनवाई के बाद फ़ैसला सुरक्षित रख लिया गया है. फैसला 17 नवंबर तक आ सकता है. वहीं, अयोध्या पर मध्यस्थता पैनल ने सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंप दी. सूत्रों के मुताबिक़, सुन्नी वक्फ बोर्ड विवादित जमीन पर दावा छोड़ने को तैयार. सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड दूसरी जगह मस्जिद बनाने को राजी हो गया है.

फैसला सुरक्षित रखने जाने के बाद अयोध्या में जगह-जगह पुलिस ने बैरियर लगा दिए हैं. गाड़ियों को रोककर लोगों की तलाशी ली जा रही थी. इसके अलावा यहां प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी दीवाली मनाने आने वाले हैं, ऐसे में भी सुरक्षा मजबूत की गई है. यूपी के डीजीपी ओपी सिंह का कहना है, ‘सुरक्षा की व्यवस्था व्यापक होगी. पिछली बार भी हम लोगों ने किया था. क्योंकि इस साल विशाल स्तर पर किया जा रहा है. पूरी व्यवस्था होगी. पैरा मिलिट्री फोर्स, पीएसी, पुलिस सभी की व्यवस्था होगी.’

अयोध्या में सुरक्षा का जायजा लेने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, डीजीपी, एडिशनल चीफ सेक्रेट्री (लॉ एंड ऑर्डर) ने भी अयोध्या का दौरा किया है. बता दें, सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर छह अगस्त से रोजाना 40 दिन तक सुनवाई की. इस दौरान विभिन्न पक्षों ने अपनी अपनी दलीलें पेश कीं. संविधान पीठ ने इस मामले में सुनवाई पूरी करते हुये संबंधित पक्षों को ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ’ (राहत में बदलाव) के मुद्दे पर लिखित दलील दाखिल करने के लिये तीन दिन का समय दिया. इस मामले में दशहरा अवकाश के बाद 14 अक्टूबर से अंतिम चरण की सुनवाई शुरू हुयी.

न्यायालय के पहले के कार्यक्रम के तहत यह सुनवाई 18 अक्टूबर तक पूरी की जानी थी. हालांकि, 14 अक्टूबर को सुनवाई शुरू होने पर न्यायालय ने कहा कि यह 17 अक्ट्रबर तक पूरी की जायेगी. लेकिन 15 अक्टूबर को पीठ ने यह समय सीमा घटाकर 16 अक्टूबर कर दी थी. राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील इस मुद्दे पर 17 नवंबर से पहले ही फैसला आने की उम्मीद है क्योंकि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई इस दिन सेवानिवृत्त हो रहे हैं.

  • रिपोर्ट- यूपीपीसीएल मीडिया डेस्क

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